देश में डाटा कंजम्पशन की बढ़ोतरी की रफ्तार कर देगी हैरान, डाटा पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं लोग
देश में डाटा का उपभोग 72.6 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़कर 2022 तक 1,09,65,879.30 करोड़ एमबी पर पहुंच जाने का अनुमान है.
देश में डाटा का उपभोग 72.6 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़कर 2022 तक 1,09,65,879.30 करोड़ एमबी पर पहुंच जाने का अनुमान है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम और पीडब्ल्यूसी के एक अध्ययन के अनुसार देश में डाटा का उपभोग वर्ष 2017 में 7,16,710.30 करोड़ एमबी रहा जो 72.60 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़कर 2022 तक 1,09,65,879.30 करोड़ एमबी पर पहुंच जाएगा.
अध्ययन में कहा गया है कि डाटा की कीमत पहले की तुलना में सबसे निचले स्तर पर आ जाने तथा देश में स्मार्टफोन की संख्या बढ़ते जाने से यह माना जा सकता है कि वीडियो ऑन डिमांड का बाजार सबसे अधिक लाभान्वित होने वाला है. देश में डाटा का उपभोग स्पष्ट तौर पर बढ़ रहा है.
वर्ष 2013 तक औसत भारतीय उपभोक्ता मोबाइल डाटा से अधिक वॉयस सेवाओं पर खर्च करता था. अब यह स्थिति बदल गयी है और भारतीय उपभोक्ता डाटा पर अधिक खर्च कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 में वॉयस सेवाओं पर औसत मासिक खर्च 214 रुपये और औसत मासिक डाटा खर्च 173 रुपये था.
वर्ष 2016 में वॉयस का औसत मासिक खर्च गिरकर 124 रुपये पर आ गया जबकि डाटा के मामले में यह 225 रुपये पर पहुंच गया. नोकिया मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडेक्स 2018 के अनुसार करीब 65 से 75 प्रतिशत डाटा वीडियो सेवाओं पर खर्च किया जाता है.