अब घर के खरीदार (Home buyers) अपने बिल्डर के खिलाफ आसानी से दिवालिया कानून (Insolvency and bankruptcy Code) के तहत कार्रवाई नहीं कर पाएंगे. इस कार्रवाई के लिए कम से कम 100 खरीददार होने चाहिए और वे सभी एकसाथ इस कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग करेंगे तब इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत उनकी याचिका स्वीकार होगी. अब इंसॉल्वेंसी एक्ट के तहत बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रोजेक्ट के 10 प्रतिशत खरीदारों को एकसाथ आना होगा.

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इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2019 के माध्यम से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (कोड) में अनेक संशोधन करने से जुड़ा बिल लोकसभा में पेश हो गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे पेश किया है. इस संशोधन के तहत कंपनी के पूर्व प्रमोटर्स के अपराधों के लिए उसके नए खरीदारों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया जाएगा. इससे पहले इस संशोधित बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूर कर दिया था.

इसके अलावा एक कॉरपोरेट कर्जदाता को दूसरे कॉरपोरेट कर्जदाता के खिलाफ आईबीसी कोड के तहत कार्रवाई करने की अनुमति मिलेगी जो अब तक नहीं थी. वहीं किसी के खिलाफ आईबीसी कोड के तहत कार्यवाही हो रही होगी तो वह मौजूदा केस लायबिलिटी पर ही होगा. पुराने मामलों पर उसको प्रोसीक्यूट नहीं किया जाएगा बल्कि वे सीज़ रहेंगे. 

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अब तक एक घर खरीदार भी Insolvency and bankruptcy Code के तहत कार्रवाई की याचिका दायर कर सकता था जिससे बिल्डर के पूरे प्रोजेक्ट रुक जाते थे.