IBC Code: सरकार स्ट्रेस्ड एसेट्स के रिजोल्यूशन प्रोसेस में लगने वाले समय को कम करने के लिए दिवाला कानून (Insolvency Law) में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि रिजोल्यूशन प्रोसेस में देर होने से इन संपत्तियों के कीमत में गिरावट आ जाती है, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में संशोधन प्रस्ताव को अगले साल की शुरुआत में संसद के बजट सत्र (Budget Session) में पेश किए जाने की संभावना है. आईबीसी कानून को 2016 में तनावग्रस्त संपत्तियों के समाधान के लिए लागू किया गया था.

मुकदमों की वजह से रिजोल्यूशन प्रोसेस में लग रहा अधिक समय

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कानून में संशोधन करने के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Corporate Affairs Ministry) का यह कदम विभिन्न पक्षों द्वारा जताई गई चिंताओं के बाद उठाया गया है. इन चिंताओं में कहा गया था कि कई कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस मुकदमों और अन्य मुद्दों के कारण निर्धारित समयसीमा से अधिक समय ले रही हैं.

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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बैंकरों और वकीलों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है और आने वाले हफ्तों में बदलावों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि रिजोल्यूशन प्रोसेस को तेज करने और इसमें लगने वाले समय को कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है.

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) के इस साल सितंबर के अंत तक के आंकड़ों के आधार पर मंत्रालय ने 12 दिसंबर को लोकसभा को सूचित किया कि IBC के तहत कुल 553 मामलों का समाधान किया गया है और संकल्प के लिए लिया गया औसत समय 473 दिन था.

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