Gold Jewellery making charges: सोने की जूलरी (gold jewellery) हर किसी को पसंद आती हैं. आप जब इसे खरीदने जाते हैं तो आपको सोने (Gold) की कीमत के साथ-साथ जूलरी का मेकिंग चार्ज भी चुकाना होता है. साथ ही आपको जीएसटी भी चुकाना होता है. लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि आखिर मेकिंग चार्ज कैसे कैलकुलेट किया जाता है. जी हां, जूलरी की फाइनल प्राइस में मेकिंग चार्ज (making charges on gold jewellery) की बड़ी हिस्सेदारी होती है. सोने के गहनों पर मेकिंग चार्ज अलग-अलग गहनों के मुताबिक तय होते हैं.  

कैसे तय होता है मेकिंग चार्ज

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दिल्ली स्थित द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल कहते हैं कि जूलरी को डिजाइन करने में जितना समय लगता है, उसी हिसाब से मेकिंग चार्ज लिए जाते हैं. सोने की जूलरी (gold jewellery) पर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक मेकिंग चार्ज वसूले जाते हैं. उनका कहना है कि मेकिंग चार्ज में रिटेलर का भी करीब 10 प्रतिशत तक कमीशन शामिल होता है.कुल मिलाकर जितना शानदार डिजाइन उतना ज्यादा मेकिंग चार्ज (making charges on gold jewellery) चुकाना होता है, और जितना साधारण डिजाइन उतना कम मेकिंग चार्ज देना पड़ता है.  

 

यहां समझें कैलकुलेशन

उदाहरण के लिए अगर कोई कस्टमर 52,800 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर पर सोने (gold jewellery) की 5.492 ग्राम वजन वाली एक रिंग (22 कैरेट) खरीदता है तो इस सोने के (gold) रिंग की आखिरी कीमत 37633 रुपये पड़ती है. लेकिन आपको यह जानकर शायद हैरानी होगी कि इस जूलरी की कीमत में वह कस्टमर 7539.42 रुपये सिर्फ मेकिंग चार्ज ही चुका देता है. साथ ही इस रिंग पर 1096.12 रुपये जीएसटी देना पड़ा है.

 

तनिष्क (Tanishq) की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, अगर आप 45.060 ग्राम वजन का सोने का नेकलेस (22 कैरेट) 10 जनवरी को 54750 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव से खरीदते हैं तो इसके लिए आपको कुल कीमत  347428 रुपये चुकानी होती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें आप 90046.78 रुपये सिर्फ मेकिंग चार्ज चुकाएंगे. 

कीमत में ये फैक्टर होते हैं शामिल

किसी भी सोने (gold) की जूलरी की कीमत में उसकी प्योरिटी यानी 24, 22 और 18 कैरेट, मेकिंग चार्ज (gold jewellery making charges), जड़ी आभूषण और सोने की उस दिन की कीमत की भूमिका होती है. 24 कैरेट को सबसे शुद्ध रूप माना जाता है. हालांकि 24 कैरेट को ज्वेलरी बनाने के लिए उतना उपयोगी नहीं माना जाता है. जूलरी बनाने में आमतौर पर 18 कैरेट और 22 कैरेट का इस्तेमाल होता है. शुद्धता जितनी ज्यादा होगी, आभूषण उतने ही महंगे होंगे.

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