कई राज्य के सरकारों ने अपने यहां पटाखों (Crackers) की बिक्री और उनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. दरअसल प्रदूषण (Pollution) के चलते कोरोनावायरस महामारी के और बढ़ने की आशंका है. हाल में आए कुछ रिसर्च के बाद एहतियात के तौर पर कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा, सिक्किम, चंडीगढ़ जैसे राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया गया है. 

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हाल में आए रिसर्च में यह सामने आया है कि दो प्रदूषण है, उसका कोरोनावायरस के संक्रमण को बढ़ाने में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. कोरोना के लिहाज पटाखें कितना खतरनाक हो सकते हैं, इस पर फिजिशियन डॉक्टर स्वाति माहेश्वरी कहती हैं कि पटाखों पर जो यह फैसला लिया गया है, वह बहुत जरूरी था. वह कहती है कि कोरोनावायरस के साथ-साथ अगर प्रदूषण भी बढ़ जाती है तो यह लोगों के लिए दोहरी मार जैसा हो जाता है. स्वाति कहती हैं कि ऐसे में लोगों की मृत्यु की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं, खासकर उन्हें जिन्हें पहले हार्ट की या लंग्स की कोई बीमारी है.

दोनों लंग्स पर असर डालता है

हम ऐसा नहीं कह सकते कि पटाखे चलाने से प्रदूषण नहीं होगा. हालांकि पटाखा प्रदूषण का एक छोटा लेकिन अहम हिस्सा है. आने वाले समय में हमें पहले से इसको लेकर फैसले लेने चाहिए, क्योंकि इससे व्यापारियो को काफी नुकसान होता है. कोरोना से पीड़ित लोग जो अब ठीक हो चुके हैं, उनके लिए प्रदूषण कितना मायने रखता है, इस सवाल पर स्वाति कहती हैं कि उनके लिए भी यह उतना ही नुकसानदायक है. वह कहती हैं कि कोरोना भी हमारे लंग्स पर असर डालता है औऱ प्रदूषण भी. 

कोरोना से पीड़ित ठीक हुए लोग बरतें सावधानी

कोरोना से पीड़ित वैसे लोग जो ठीक हो चुके हैं, उनके लंग्स अभी बहुत स्वस्थ नहीं हैं. उन्हें प्रदूषण से बचना चाहिए. लोग तभी बाहर निकलें जब प्रदूषण का लेवल थोड़ा कम हो.

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सुबह और शाम को एक्सरसाइज या जॉगिंग के लिए बाहर जाते हैं, उन्हें प्रदूषण से बचने के लिए N-95 मास्क लगाकर निकलना चाहिए. वह कहती हैं कि अगर प्रदूषण का एक्यूआई लेवल 300 से ज्यादा है तो बाहर मत निकलिए. प्रदूषण के असर से बचने के लिए ताजे फल-सब्जी खाएं. जंक फूड से दूर रहें.