संकट में फंसे शराब कारोबारी विजय माल्या और युनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) समेत किंशफिशर एयरलाइन लिमिटेड (केएएल) के प्रमोटरों के पास विविध पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के शेयर के रूप में काफी चल संपत्तियां थीं, लेकिन उन्होंने इन उपकरणों से बैंक का बकाया चुकाने की अपनी कोई मंशा नहीं जाहिर की. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यह खुलासा अब बंद हो चुकी इस एयरलाइन के मामले की जांच में किया है. धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत ईडी की जांच में पाया गया है कि माल्या और यूबीएचएल के पास समूह की विविध पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में 3,847.45 करोड़ रुपये के शेयर थे. 

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गिरवी पड़े सारे शेयरों का दावा नहीं बेचा गया

दरअसल, यूबीएचएल, युनाटेड स्पिरिट, युनाटेड ब्रेवरीज और मैकडोवेल के शेयरों में माल्या कुल 1,773.49 करोड़ रुपये (12 अगस्त 2016 को) धारण करते थे और यूटीआई इन्वेस्टर्स सर्विसेज के पास 1,653 करोड़ रुपये के शेयर गिरवी थे. ईडी की जांच से हुए खुलासे के अनुसार, यूटीआई इन्वेस्टर्स सर्विसेज के पास माल्या के गिरवी पड़े सारे शेयरों का दावा नहीं बेचा गया जबकि उसके एवज का दायित्व पहले ही चुकता हो चुका था. मतलब, बैंक अपने बकाये के एवज में शेयरों को अटैच (जब्त) नहीं कर सकती थी क्योंकि दावा व्यवस्था के तहत शेयरों को इस प्रकार हस्तांतरण नहीं हो सकता था.

 

फाइल फोटो

बकाया चुकाने का नहीं था इरादा

ईडी के अस्थायी जब्ती आदेश के अनुसार, जांच रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा, "इन तथ्यों से फिर संकेत मिलता है कि विजय माल्या का बैंकों के समूह का बकाया चुकाने का इरादा नहीं था. अगर वह नेकनीयती से बकाया चुकाना चाहते तो उनके पास ये शेयर होते और वह कर्ज चुकाने में इनका उपयोग करते. "ईडी की जांच में यूबीएचएल समेत माल्या के साम्राज्य के तहत बनाई गई नकली और निवेश कंपनियों के जाल की असली मंशा पर भी सवाल उठाया गया है. इनमें से कुछ कंपनियों का शेयर मूल्य 3,822 करोड़ रुपये (अगस्त 2016 तक) था, लेकिन माल्या ने जब्ती से बचने के लिए इन कंपनियों में अपने हितों का खुलासा नहीं किया. 

 

(इनपुट एजेंसी से)