निजी बिजली उत्पादकों ने सरकार से MSME के लिए लागू ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग प्रणाली (TREDS) का विस्तार करने का आग्रह किया है ताकि वे अपने भुगतान संकट को दूर कर सकें. यह राशि 41,240 करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है.

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बिजली सचिव अजय कुमार भल्ला के लिखे पत्र में बिजली उत्पादक संघ ने कहा कि वसूली में देरी ने उनके वित्त पर दबाव बढ़ाया है क्योंकि यह उनके ऋण की सेवा करने की क्षमता को प्रभावित करता है और पूंजी की तरलता को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करता है.

पत्र के अनुसार, जनवरी 2019 के अंत तक बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बकाया राशि 41,240 करोड़ रुपये है, जिसमें बिजली की बिक्री का बकाया लगभग 17,246 करोड़ रुपये है, जबकि मुकदमेबाजी में फंसी राशि 17,128 करोड़ रुपये है. वहीं 6,865 करोड़ रुपये की राशि पर निर्णय आने के बावजूद यह फंसी हुई है.

एपीपी के महानिदेशक अशोक खुराना ने पत्र में कहा, "हम केंद्रीय बिजली मंत्रालय से आग्रह करते हैं कि इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई करने में मदद करें ताकि अधिक एनपीए न सृजित हो और गर्मियों के दौरान पर्याप्त बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके."