दवा कंपनियों ने दवाओं पर ट्रेड मार्जिन 30% रखने का प्रस्‍ताव मान लिया है. इससे 80 प्रतिशत दवाओं की कीमतें घट जाएंगी. कंपनियां प्राइस कंट्रोल से बाहर की दवाओं पर ट्रेड मार्जिन कम करेंगी. आपको बता दें कि दवाओं का बाजार सालाना एक लाख करोड़ रुपए का है. इसमें नॉन शिड्यूल ड्रग का कारोबार 10 हजार करोड़ रुपए का है.

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इससे पहले मोदी सरकार ने कैंसर (Cancer) और दिल की बीमारियों (Heart Patients) की दवाएं (Medicines) सस्‍ती और आसानी से मिलें, इसके लिए जरूरी दवाओं की नई लिस्ट तैयार करने की योजना बनाई थी. इस मामले पर बनी समिति की पहली बैठक हो चुकी है.

मोदी सरकार चाहती है कि कैंसर और दिल की बीमारियों की महंगी दवाओं को वाजिब कीमत पर मरीजों को उपलब्ध कराया जाए. साथ ही ये भी पक्का किया जाए कि ऐसी दवाओं की सप्लाई बनी रहे. बैठक में हेल्थकेयर एक्टिविस्ट, दवा कंपनियों के प्रतिनिधि और मेडिकल डिवाइसेज़ इंडस्ट्री के लोग शामिल हुए थे.

हेल्थ केयर एक्टिविस्ट ग्रुप AIDAN ने कीमतों की सीमा तय करने पर ज़ोर दिया था ताकि सभी के लिए दवाएं वाजिब दाम पर मिल सकें. खासतौर पर WHO की ओर से जरूरी दवाओं की जो लिस्ट है उसके हिसाब से ही भारत में भी ज़रूरी दवाओं की लिस्ट तैयार की जाए.

WHO की कोर लिस्ट में कुल 460 जरूरी दवाएं हैं. हालांकि दवा कंपनियों की दलील थी कि अगर कीमतों को ज्यादा घटाया गया तो जरूरी दवाओं का प्रोडक्शन प्रभावित होगा. इससे ऐसी दवाओं की सप्लाई कम हो सकती है.