देश होली के रंग में सराबोर है. बाजार गुजिया, पकवानो, गुलाल और रंगों से सच गए हैं. होली के मौसम में कारोबारियों में भी उत्साह है. कोरोना के बाद इस साल होली में 25 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ हो सकती है. वहीं, बाजार में इस बार लोगों ने चाइनीज रंगों को बायकॉट करने का फैसला किया है. ज्यादातर लोग भारत में ही बने गुलाल और रंग खरीदना चाहते हैं. आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए इस बार मेड इन इंडिया गुलाल लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.  

खरीदना चाहते हैं लोकल सामान 

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समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक दिल्ली के सदर बाजार के दुकानदारों का कहना है कि 'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट्स की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है. ग्राहक चाइनीज प्रोडक्ट्स की जगह भारत में बने सामान की मांग कर रहे हैं. वहीं, ज्यादातर दुकानदार भी मेड इन इंडिया कलर, पिचकारी, गुलाल और दूसरे आइटम्स रख रहे हैं. सदर बजार के दुकानदार जावेद ने कहा, 'ज्यादातर लोग इंडियन प्रोडक्ट्स चाहते हैं. ग्राहक लोकल सामान खरीदना चाहते हैं. चाइनीज सामान अब ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर रहा है. लोग हमसे केवल भारत में बने सामान दिखाने के लिए ही कह रहे हैं.' 

 

भारतीय सामान की क्वालिटी बेहतर

सदर बाजार में होली की खरीदारी कर रहे रवि ने ANI को बताया, 'मैं भारत में बने सामान को खरीद रहा हूं. चाइनीज सामान कम हो रहे हैं, उन्हें भारत में बने सामान हटा रहे हैं.' वहीं, सदर बाजार के एक अन्य ग्राहक राजीव ने कहा, 'लोकल सामान के जरिए लोगों को रोजगार मिल रहा है. मैं यहां पर अपने बच्चों के लिए पिचकारी खरीदने आया हूं. मुझे खुशी है कि यहां पर जो भी सामान रखा है उसमें मेड इन इंडिया लिखा हुआ है. चाइनीज सामान अब कही भी नहीं दिख रहे हैं. भारत में सामान की क्वालिटी काफी अच्छी होती है और चाइनीज सामान को आप केवल एक बार इस्तेमाल कर सकते हैं.'

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CAIT के मुताबिक होली से जुड़े सामान का देश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का इंपोर्ट होता है. होली से जुड़े सामान का देश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का इंपोर्ट होता है, जोकि इस साल न के बराबर रहा. होली में मिठाइयां, ड्राई फ्रूट, गिफ्ट आइटम्स, फूल एवं फल, कपड़े , फर्निशिंग फैब्रिक, किराना, FMCG प्रोडक्ट, कंज्यूमर ड्युरेबल्स की सबसे अधिक डिमांड है.