सुस्त मांग और डेवलपरों द्वारा पूंजी का इस्तेमाल दूसरे कामों में करने से धन की कमी के करण दिल्ली-एनसीआर समेत सात प्रमुख शहरों में करीब 5.6 लाख मकानों का निर्माण समय से पीछे चल रहा है. संपत्ति बाजार परामार्शदाता फर्म एनारॉक के अनुसार इन आवासीय इकाइयों का अनुमानित मूल्य 4.5 लाख करोड़ रुपये है. ये सभी 5.6 लाख फ्लैट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और पुणे में हैं. इन सभी प्रोजेक्ट पर 2013 से पहले काम शुरू हुआ था. 

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लाखों घर खरीदार हैं फंसे 

एनारॉक के संस्थापक और चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, "शीर्ष सात शहरों में 4,51,750 करोड़ रुपये की कुल 5.6 लाख इकाइयों का काम देरी से चल रहा है." उन्होंने कहा कि सभी शीर्ष शहरों खासकर मुंबई महानगर क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लाखों घर खरीदार फंसे हुए हैं. यह उनके लिए मानसिक तनाव और वित्तीय परेशानी का कारण बन रहा है. एनारॉक के आंकड़ों के मुताबिक, इन फंसी आवासीय इकाइयों में एनसीआर और एमएमआर की हिस्सेदारी 72 प्रतिशत है.

 

बिल्डरों को पूंजी देना बंद

मुंबई महानगर क्षेत्र में 2,17,550 करोड़ रुपये की 1,92,100 फ्लैट जबकि एनसीआर में 1,31,460 करोड़ रुपये की 2,10,200 इकाइयां फंसी पड़ी है. फंसे मकानों की संख्या में दक्षिण भारतीय शहरों बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद की हिस्सेदारी मात्र 10 प्रतिशत है.

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इनकी कीमत 41,770 करोड़ रुपये है. पुरी ने कहा कि यहां ‘पेड़ पहले आया या फल’ जैसी स्थिति बन गई है. घर खरीदारों ने देरी के कारण बिल्डरों को पूंजी देना बंद कर दिया है. बिल्डर चाहते हैं, ग्राहक पहले पैसा दें ताकि काम पूरा हो सके.