Coronavirus के इलाज का खर्च देने से कोई भी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनी मना नहीं कर सकती. बीमा नियामक IRDA ने पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत दी है. उसने General और Health Insurance कंपनियों से Covid 19 संक्रमित मरीजों के लिए बने अस्थायी अस्पतालों में इलाज से जुड़े क्‍लेम को देने को कहा है. 

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कोरोना वायरस मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अस्थायी अस्पताल बनाए हैं. IRDA ने सर्कुलर में कहा कि हेल्‍थ पॉलिसी में Covid 19 के इलाज को भी शामिल किया गया है. इसलिए केंद्र/राज्य सरकारों की मंजूरी वाले अस्थायी अस्पतालों को अस्पताल माना जाएगा और बीमा कंपनियां नियमों के तहत क्‍लेम निपटाएंगी. 

नियामक ने कहा कि जब Covid 19 संक्रमित होने के बाद पॉलिसीधारक को डॉक्‍टर की सलाह पर ऐसे अस्थायी अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो भले ही पॉलिसी नियम और शर्तों में अस्पताल की परिभाषा कुछ भी हो, इलाज पर होने वाले खर्च का क्‍लेम बीमा कंपनियां करेंगी. 

इरडा ने यह भी कहा कि जहां ऐसे अस्थायी अस्पताल बनाए गए हैं, तो ऐसे अस्पतालों को नेटवर्क ऑपरेटर का एक्‍सपेंशन माना जाएगा और नकद रहित इलाज (Cashless) सुविधा देनी होगी. नियामक ने जनरल और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों से ऐसे दावों को निपटाने में तेजी लाने को कहा है.

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इससे पहले IRDA ने Coronavirus महामारी में वॉरियर (warrior) की भूमिका निभा रहे Doctor और दूसरे हेल्‍थ वर्कर (Health worker) को राहत दी थी. नियामक ने बीमा कंपनियों (Insurance companies) को डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना कवच प्रीमियम (Corona kavach) पर 5 प्रतिशत छूट देने को कहा था.

नियामक ने यह भी कहा था कि अस्पताल पॉलिसी शर्तों के मुताबिक बीमित व्यक्ति के नकद रहित (Cashless) इलाज से इनकार नहीं कर सकते. IRDA के निर्देश पर सभी 30 जनरल और हेल्‍थ बीमा कंपनियां, जो स्वास्थ्य बीमा भी देती हैं, Covid केंद्रित स्वास्थ्य पॉलिसी देना शुरू कर दिया है. इसे कोरोना कवच कहा जाता है.