Chardham Yatra: चारधाम यात्रा पर रोक का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल नैनीताल हाई कोर्ट ने 1 जुलाई से आंशिक रूप से यात्रा शुरू करने पर रोक लगा दी है. जिसके खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने यह जानकारी दी. 

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सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार

चारधाम यात्रा 1 जुलाई से आंशिक रूप से शुरू करने पर नैनीताल हाई कोर्ट की रोक के खिलाफ तीरथ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. राज्य के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने देहरादून में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ‘‘चारधाम यात्रा पर उच्च न्यायालय के स्थगनादेश के खिलाफ हम उच्चतम न्यायालय चले गए हैं.’’ कोविड-19 के बीच यात्रा के दौरान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष जाहिर करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने 28 जून को राज्य मंत्रिमंडल के चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को 1 जुलाई से हिमालयी धामों के दर्शन की अनुमति देने के निर्णय पर रोक लगा दी थी.

इंतजाम को बताया पर्याप्त

यात्रा के बारे में सरकार के इंतजाम को पर्याप्त बताते हुए सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया था. उन्होंने कहा कि पिछले साल जुलाई में गंगोत्री में रोजाना 70, यमुनोत्री में 40, केदारनाथ में 180 और बदरीनाथ में 400 के आसपास श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे जबकि उस समय पूरे देश के लिए यात्रा चल रही थी. उनियाल ने कहा कि उसी को ध्यान में रखते हुए 1 जुलाई से सिर्फ स्थानीय नागरिकों के लिए सीमित संख्या में यात्रा शुरू करने का फैसला लिया गया. वहीं एक सीमा तय कर दी कि चारों धामों में रोज कुल मिलाकर साढे 750 से ज्यादा यात्री दर्शन नहीं कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा 15 दिन पहले ही देवस्थानम बोर्ड और जिला प्रशासन को यात्रा की तैयारियां पूरी करने के निर्देश दे दिए गए थे. 

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