India on Moon Chandrayaan 3 landed successfully: हम अब चांद पर पहुंच गए हैं. आखिरकार 15 साल पहले देखा गया सपना पूरा हो गया. चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 के कदमों पर चलते हुए चंद्रयान 3 अंतिम मंजिल तक पहुंच गया. ठीक शाम 6.04 बजे चंद्रयान ने सफल लैंडिंग की और भारत माता की जय अंतरिक्ष तक गूंज गया. लैंडर विक्रम ने पहुंचते ही ISRO को संदेश भेजा- मैं मंजिल पर पहुंच गया हूं, और आप भी. लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद सारी दुनिया में भारत का नाम गौरव के साथ लिया जा रहा है. अब दुनिया में हमारा वर्चस्व और बुलंद होगा. जो इतिहास नासा या दूसरे बड़े देशों की एजेंसियां नहीं कर सकीं, वो भारत ने कर दिखाया. अब आगे क्या होने वाला है? मिशन की लैंडिंग हुई है. अभी बहुत कुछ बाकी है.

लैंडर ने काम किया, अब रोवर की बारी

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चांद पर लैंडर 'विक्रम' ने सॉफ्ट लैंडिंग कर दी है. अब लैंडर यहीं इंतजार करेगा. तापमान और दूसरी स्थितियों का जायजा लेगा. इसके बाद रोवर को अलर्ट करेगा. ISRO की टाइमलाइन के मुताबिक, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 238 डिग्री तक पहुंच जाता है. इसलिए रोवर को थोड़ा इंतजार करना होगा. जैसे ही स्थितियां बनेंगी रोवर लैंडर की रैंप उतरकर बाहर आ जाएगा. छह पहियों वाला 'प्रज्ञान' लैंडिंग के करीब चार घंटे बाद बाहर आएगा. रोवर की स्पीड भी कंट्रोल्ड होगी. 1 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से प्रज्ञान उतरेगा और नेविगेशन कैमरा की मदद से आगे के सफर तय करेगा.

चांद पर होंगे भारत के निशां

'विक्रम' से अलग होने के बाद आगे का सफर 'प्रज्ञान' को तय करना है. जैसे-जैसे रोवर आगे बढ़ेगा भारत के निशां चांद की जमीन पर दर्ज होते जाएंगे. राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ और ISRO के लोगो की छाप चांद की मिट्टी पर दिखेंगे. रोवर के पेलोड्स में लगे इंस्ट्रूमेंट्स चांद से वातावरण, पानी, खनीज की जानकारी इकट्ठा कर लैंडर को भेजेगा. लैंडर में 3 पेलोड्स हैं. ये पोलेड्स चांद के क्रस्ट और मैंटल स्ट्रक्चर का पता लगाएंगे. इसके अलावा घनत्व, तापमान, भूकंप की भी जानकारी को इकट्ठा करेगा. फिर इसे ISRO को भेजेगा.

कितनी दूर तक जाएगा प्रज्ञान?

चांद पर काफी बड़े गड्ढे हैं, इसे ध्यान में रखते हुए रोवर प्रज्ञान आगे का सफर तय करेगा. सवाल ये है कि 14 दिन के मिशन में प्रज्ञान कितनी दूर तक जाएगा. हालांकि, अभी तक इस संबंध में ISRO की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है कि रोवर कितनी दूरी तय करेगा. इसका अनुमान लगाना संभव नहीं है. 

चांद पर 14 दिन रिसर्च करेंगे लैंडर और रोवर

चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को अगले 14 दिन तक चांद पर रिसर्च करेंगे. चांद पर 1 दिन पृथ्वी के 14 दिनों का होता है. इसलिए मिशन 14 दिन का है. इन 14 दिन ISRO जितनी जानकारी हो सकेगी हासिल करेगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, इसलिए 14 दिन बाद जब चांद पर रात होगी तो इतने कम टेम्‍प्रेचर में मशीनें काम नहीं कर पाएंगी. हालांकि, संभावना जताई गई है 28 दिन बाद जब चांद पर फिर सुबह होगी तो रोवर और लैंडर चांद एक्टिव हो सकते हैं. लेकिन, इसका इंतजार करना होगा. अगर ऐसा होता है तो फिर 14 दिन और जानकारी इकट्ठा करने के लिए मिल सकेंगे. 

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