मीडिया पर ये खबर तेजी से वायरल हो रही है कि सरकार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) और अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes) को मिलाकर एक बोर्ड बनाने जा रही है. चर्चा थी कि टैक्स कलेक्शन में गिरावट को देखते हुए और कामकाज में बढ़ते खर्च पर कटौती करने के मकसद से सरकार यह कदम उठाने जा रही है. सरकार ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है. 

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सरकार ने साफ कहा है कि यह खबर पूरी तरह से गलत है क्योंकि सरकार के पास केंद्रीय राजस्व बोर्ड ( Central Boards of Revenue) अधिनियम, 1963 के तहत गठित दो बोर्डों के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है.

पीआईबी ने सरकार के हवाले से कहा है कि वित्त मंत्रालय बड़े पैमाने पर करदाताओं के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहा है. इनमें लोकल न्याय सीमा के आधार पर मैन्युअल मूल्यांकन के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक फेसलेस मूल्यांकन, इलेक्ट्रॉनिक वैरिफिकेशन या लेनदेन और फेसलेस अपील को लागू करने पर फोकस कर रहा है.

 

पीआईबी का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और अप्रत्यक्ष कर बोर्ड का विलय कर प्रशासनिक सुधार आयोग (टीएआरसी) की सिफारिशों पर किया जा रहा है.

पीआईबी ने कहा है कि सरकार द्वारा टीएआरसी की रिपोर्ट की विस्तार से जांच की गई थी और टीएआरसी की इस सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया था. सरकार ने 2018 में सरकारी आश्वासनों पर समिति के समक्ष भी इस तथ्य को रखा था. टीएआरसी की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट राजस्व विभाग की वेबसाइट पर भी है, जो साफ रूप से दिखाती है कि यह सिफारिश स्वीकार नहीं की गई थी.

इससे साफ है कि मीडिया में प्रकाशित खबर पूरी तरह से गलत है.