(नीरज राय)

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Cash to Farmers: कोरोना काल में जहां कई सेक्टर्स में कामकाज ठप या कम हो गया है और रोजगार के लाले पड़ गए हैं, वहीं देश के किसानों को पिछले 6 महीने में करीब 2 लाख 90 हजार करोड़ रुपए नकद हासिल हुए हैं. यह रकम MSP ऑपरेशन के तहत मिली है. इसमें से फीसदी से ज्यादा केंद्र सरकार की खरीद योजनाओं के तहत चुकाई गई है. इस बीच कमोडिटीज की कीमतों में आई बेतहाशा तेजी से किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

बढ़ेगी किसानों की आय (Farmers' income will increase)

इस साल रूरल इकोनॉमी में काफी पूंजी जाने की उम्मीद है. जानकारों का मानना है कि कोरोना काल में जब तमाम इंडस्ट्रीज को मंदी का डर सता रहा है, ऐसे में सरकार की कोशिशों और बाजार में कमोडिटीज का भाव बढ़ने से इस साल किसानों की आय को सपोर्ट मिल सकता है. इस बार सीजन की शुरुआत से ही मंडियों में दलहन और तिलहन की कीमतें आसमान पर हैं. JLV एग्रो के डायरेक्टर विवेक अग्रवाल का कहना है कि 'आमतौर पर सीजन के शुरू में कीमतों पर आवक का प्रेशर रहता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है और दाल की कीमतें MSP से करीब 10-20% तक ऊपर हैं, जिसका सारा फायदा किसानों को मिला है'. गौरतलब है कि सरकार ने रबी फसलों की MSP को 2-6% बढ़ा दिया था. 

वहीं तुअर, चना, मूंग और सरसों की कीमतें पिछले साल के मुकाबले करीब 35-75% तक उछल चुकी हैं. पिछले साल इस महीने औसत ₹4450  प्रति क्विंटल के भाव बिकने वाला सरसों का दाम ₹7500 के भी पार जा चुका है. कोमोवेश यही हाल चना समेत दूसरी दलहन का भी है. किसानों की आय को लेकर सरकार भी इत्तेफाक रख रही है. इस हफ्ते सोमवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फेंस में खाद्य मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी सुबोध गुप्ता ने माना कि सरकार की कोशिशों से शुगर सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ी है, जिससे किसानों को पेमेंट करने में सुविधा हो रही है. 

कोरोना काल में सरकार ने खरीदा ज्यादा अनाज (Government bought more grain)

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस सीजन 10 मई तक सरकार ने 341.77 लाख टन गेहूं खरीदा है. जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा है. इसके तहत किसानों को ₹67,500 करोड़ का भुगतान किया गया है. खरीद फिलहाल जारी है. वहीं अक्टूबर से अब तक  सरकार ने करीब 733 लाख टन धान खरीदा है और इसके तहत किसानों को कुल ₹1,38,341.11 करोड़ का भुगतान किया है. इस कड़ी में सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 6,51,493 टन दलहन और तिलहन भी खरीदा है. जिसमें मूंग, उड़द, तुअर, चना, मसूर, मूंगफली, सरसों और सोयाबीन शामिल है. इसके लिए किसानों को ₹3,414.20 करोड़ का भुगतान किया गया है.

पंजाब के किसान सबसे आगे (Punjab's farmers are ahead)

गेहूं की ज्यादातर खरीद पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में हुई है. जिसमें से पंजाब में 129.35 लाख टन की खरीद हुई है, जो कुल खरीद का 37.84% है. इसके बदले वहां के किसानों को ₹22,215.93 करोड़ का भुगतान हो चुका है. जबकि हरियाणा में 80.80 लाख टन (23.64%) और मध्य प्रदेश में 97.54 लाख टन (28.53%) गेहूं की खरीद हुई है. वहीं धान की खरीद में अकेले पंजाब की हिस्सेदारी 27% की है. जबकि 11.8% के साथ हरियाणा दूसरे और 9% हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे पायदान पर है.

दलहन की खरीद दक्षिण में तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अलावा पश्चिम भारत में महाराष्ट्र और गुजरात के साथ उत्तर में हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुई है. इसके अलावा तिलहन की ज्यादातर खरीद राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हुई है. इसदौरान सरकार ने आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के किसानों से 1.74 लाख टन कोपरा भी खरीदा है, जिसके एवज में ₹52.40 करोड़ का भुगतान किया गया है.

इसके अलावा कपड़ा मंत्रालय के तहत काम करने वाली सरकारी कंपनी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने इस साल करीब 90 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कपास खरीदा है. जिसके एवज में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के कपास किसानों को करीब ₹30,000 करोड़ मिले हैं. इस तरह से पिछले करीब 6 महीनों के दौरान गेहूं, धान, दलहन, तिलहन, कोपरा और कपास के किसानों को करीब ₹2,39,307 करोड़ का पेमेंट हुआ है.

गन्ना किसानों को डबल बोनांजा (Double bonanza to Sugarcane farmers)

गन्ने की खेती वाले राज्यों में किसानों को बाकी राज्यों के मुकाबले ज्यादा राशि मिली है. उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के गन्ना किसानों को चीनी मिलों की ओर से करीब ₹19,445 करोड़ का भुगतान हो चुका है. वहीं महाराष्ट्र में इस सीजन गन्ना किसानों को करीब ₹18,555 करोड़ का भुगतान हुआ है. उद्योग के सूत्रों का दावा है कि बाकी राज्यों को मिलाकर पूरे देश में ₹50,000 करोड़ से ज्यादा गन्ने का भुगतान हो चुका है.

किसानों को मिले ₹2.89 लाख करोड़ से ज्यादा (Farmers get more than ₹2.89 lakh crore)

पिछले करीब 6 महीनों के दौरान गेहूं, धान, दलहन, तिलहन, कोपरा और कपास के किसानों को करीब ₹2,39,307 करोड़ का भुगतान हो चुका है. इस रकम का भुगतान सरकार ने किया है. जबकि गन्ना किसानों का करीब ₹50,000 करोड़ चीनी मिलों ने चुकाया है. इस महीने किसानों को मिलने वाली कुल राशि ₹3 लाख करोड़ के पार जा सकती है.

सीधे किसानों के खाते में पेमेंट (Payment directly to farmers' account)

गन्ना भुगतान के मामले में मिलों की ओर से किसानों को सीधे उनके खाते में भुगतान की व्यवस्था पहले ही थी. लेकिन केंद्र सरकार की नई नीति से पिछले कुछ सालों से सरकारी खरीद का सारा भुगतान किसानों को उनके खाते में किया जा रहा है. पिछले साल से कपास के किसानों को भी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया सीधे भुगतान कर रही है. गौर करने वाली बात ये है कि पंजाब में भी इस साल किसानों को डायरेक्ट पेमेंट किया जा रहा है.

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