निजीकरण पर BPCL का बयान, पेट्रोनेट और IGL में हिस्सेदारी बेचने का कोई इरादा नहीं
निजीकरण (Privatization) की प्रक्रिया से गुजर रही भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने ये स्पष्ट करते हुए बताया कि उसका पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (Petronet LNG) और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) में अपनी हिस्सेदारी बेचने का कोई इरादा नहीं है.
निजीकरण (Privatization) की प्रक्रिया से गुजर रही भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने ये स्पष्ट करते हुए बताया कि उसका पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (Petronet LNG) और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) में अपनी हिस्सेदारी बेचने का कोई इरादा नहीं है.
इससे पहले कहा जा रहा था कि इन दोनों गैस कंपनियों में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने से बीपीसीएल (BPCL) के नए मालिक को खुली पेशकश लाने की जरूरत नहीं रहेगी. BPCL के पास भारत की सबसे बड़ी LNG आयातक पेट्रोनेट में 12.5 % और गैस विपणन कंपनी आईजीएल (IGL) में 22.5 % हिस्सेदारी है.
बीपीसीएल दोनों लिस्टेड कंपनियों की प्रमोटर्स है और उनके Board of directors में स्थान रखती है. निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management) की ओर से मूल्यांकन की गई कानूनी स्थिति के अनुसार बीपीसीएल के अधिग्रहणकर्ता को पेट्रोनेट और आईजीएल के Minor शेयरधारकों के समक्ष 26 फीसदी शेयरों के अधिग्रहण के लिए खुली पेशकश करनी होगी.
दीपम बीपीसीएल में सरकार की पूरी 52.98 % हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को ऑपरेट कर रहा है. बीपीसीएल के वित्त विभाग के निदेशक एन विजय गोपाल ने निवेशकों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘पेट्रोनेल और आईजीएल में अपनी हिस्सेदारी बेचने का कोई इरादा नहीं है. इससे कंपनी के मूल्य में काफी कमी आएगी.’’ उन्होंने कहा सेबी के नियमों के अनुसार बीपीसीएल के नए प्रवर्तक को आईजीएल और पेट्रोनेट के लिए खुला प्रस्ताव देने की जरुरत होगी.
उन्होंने बिना कोई ज्यादा जानकारी देते हुए कहा, ‘‘खुली पेशकश की जरूरत से किस तरह से बचाये जाए, इसे लेकर बीपीसीएल और सरकार आपस में मिलकर सेबी के साथ काम कर रहे हैं. हम सरकार के साथ इसलिए काम कर रहे हैं ताकि बीपीसीएल के मूल्य में कमी न आये.’’ बीपीसीएल हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में नहीं है और उसका कहना है कि प्रवर्तक का दर्जा और निदेशक पद छोड़ने से कंपनी के मूल्य में काफी कमी आएगी.
उल्लेखनीय है कि बीपीसीएल दोनों कंपनियों की प्रमोटर है और चूंकि प्रमोटर फर्म के स्वामित्व में बदलाव आयेगा, इसलिए सेबी (शेयरों के पर्याप्त अधिग्रहण और नियंत्रण) अधिनियम, 2011 के तहत एक खुली पेशकश करनी होगी.
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