Coronavirus vaccine: भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने दो कोरोना वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) की कोविशील्ड (covishield) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सीन (COVAXIN) के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है. भारत पहला देश है जहां एकसाथ दो वैक्सीन को मंजूरी दी गई है. लेकिन वैक्सीन की मंजूरी के साथ ही जहां कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों को उम्मीद की किरण जागी है तो कुछ विवाद भी पैदा हुए हैं.

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सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक, दोनों ही अपनी-अपनी वैक्सीन को एकदूसरे से ज्यादा असरदार होने का दावा कर रहे हैं. कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने भी वैक्सीन की मंजूरी को लेकर सवालिया निशान खड़े किए हैं. 

तमाम विवादों के बीच भारत बायोटेक के एमडी कृष्णा एल्ला (Bharat Biotech MD Krishna Ella) ने वैक्सीन को तमाम सवालों को लेकर विस्तार से जानकारी दी. कृष्ण एल्ला ने कहा कि अब टीके का राजनीतिकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनके परिवार को कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है.

उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि हमारी वैक्सीन 200 फीसदी सुरक्षित है. 50 लाख डोज कसौली में टेस्टिंग के लिए भेजी गई हैं. 

भारत बायोटेक के एमडी ने कहा कि कंपनी ने कुल मिलाकर 5 पीयर रिव्यू पब्लिश किए हैं और सीरम, पनाशिया, ज़ायडस कैडिला का अभी तक कोई पब्लिकेशन नहीं आया है. 

उन्होंने कहा कि कंपनी की वैक्सीन में केवल 15 फीसदी ही साइड इफेक्ट सामने आएं हैं. अभी तक सभी ट्रायल में अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. ट्रायल में करीब 26,000 पार्टिसिपेंट को शामिल किया गया है. 

उन्होंने कहा, "हम सिर्फ भारत में ही क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं. ब्रिटेन के साथ हमने दुनिया के 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल ट्रायल किए हैं. हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और दूसरे देशों में क्लीनिकल ट्रायल कर रहे हैं. हम सिर्फ एक भारतीय कंपनी नहीं बल्कि सही मायनों में एक ग्लोबल कंपनी हैं."

उन्होंने कहा कि उनके पास वैक्सीन में शानदार अनुभव है. भारत बायोटेक एकमात्र कंपनी है जिसे समीक्षा पत्रिकाओं में इतना व्यापक अनुभव और व्यापक प्रकाशन मिला है.

उन्होंने बताया  कि बायोटेक ने फेज 2 में 12-18 साल के बच्चों पर भी वैक्सीन का ट्रायल किया था. इसके आधार पर DCGI ने क्लिनिकल ट्रायल मोड में आपातकालीन हालत में वैक्सीन के सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दी है और इसमें 12 वर्ष या इससे ऊपर के बच्चे भी शामिल हैं. हालांकि अभी सरकार की प्राथमिकता जिन 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की है उनमें बच्चे शामिल नहीं हैं.

बिना मदद के तैयार की वैक्सीन

कृष्णा एल्ला ने कहा कि हमने अपने दम पर बिना किसी सरकारी या अन्य संस्थान की मदद के वैक्सीन बनाई है. उनकी कंपनी को किसी एस्ट्राजेनेका या किसी गेट्स फाउंडेशन से कोई फंडिंग मिली. उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन फरवरी तक 1 करोड़ डोज बनकर तैयार हो जाएंगी.

एक साल तक असर

ज़ी मीडिया के पूछने पर कि वैक्सीन का असर कितने दिनों तक रहेगा, इस पर डॉक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा कि अभी तक की स्टडी के आधार पर 120 दिन तक असर दिख रहा है. लेकिन उनकी अपनी राय में वैक्सीन का असर कम से कम एक साल तक रहना चाहिए. 

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