आम्रपाली हाउसिंग सोसायटी का मामला अदालत में है. घर खरिदारों को उनके खरीदे घर सालों से नहीं मिल पाए हैं. ऐसे में अब पता चला है कि इस प्रोजेक्ट में ऐसे हजारों फ्लैट हैं जो अब तक अपना दावा करने नहीं पहुंचे हैं. अंदेशा जताया जा रहा है कि ये फर्जी नाम से बुक किए गए फ्लैट हो सकते हैं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि आम्रपाली की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में लगभग 9,600 घर खरीदार अपने फ्लैटों का दावा करने आए ही नहीं.

ऐसी प्रॉपर्टीज़ को अनसोल्ड माना जाएगा

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जस्टिस यू.यू. ललित और अजय रस्तोगी ने अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर की याचिका को इन फ्लैटों को बिना बिकी इन्वेंट्री के रूप में मानने की अनुमति दी. साथ ही ये भी कहा कि यदि कोई भी उन पर दावा करने के लिए आगे नहीं आता है, तो अगला कदम उनके एलॉटमेंट को रद्द कर अधूरे बचे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लगनेवाले धन को जुटाने के लिए नीलाम करना चाहिए.

खरिदारों तक पहुंचने की बहुत कोशिश की

शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमनी, अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर, और NBCC ने उन सभी घर खरीदारों तक पहुंचने के लिए कई साझा कोशिशें की, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट में इकाइयां बेची गई हैं.

अदालत को रिसीवर की ओर से दिए गए एक नोट के अनुसार, "यह सामने आया है कि जुलाई 2019 में अदालत का फैसला आने के बाद लगभग 9,583 घर खरीदारों ने अब तक रिसीवर के कार्यालय द्वारा बनाए गए ग्राहक डेटा में रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं है, और न ही कोई भुगतान किया है."

15 दिन की आखरी मोहलत

इस सूचना को लेकर पीठ ने कहा कि इन घर खरीदारों को अंतिम नोटिस दिया जाना चाहिए और अगर वे 15 दिनों के भीतर इन फ्लैटों का दावा करने के लिए आगे नहीं आते हैं, तो रिसीवर आवंटन रद्द करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं. अदालत द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, ये फ्लैट बेनामी या फर्जी बुकिंग हो सकते हैं

 

 

 

6,210 डिफॉल्टर खरिदार

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वरिष्ठ वकील वेंकटरमणि ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि 6,210 घर खरीदार, हालांकि ग्राहक डेटा में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन उनमें से कोई भी भुगतान नहीं कर रहे हैं. नोट में कहा गया है, "अदालत से आवश्यक निर्देश मांगा गया है ताकि आवंटन में अपनी रुचि व्यक्त करने और देय भुगतान करने का एक अंतिम अवसर देने के बाद ऐसे डिफॉल्टर घर खरीदारों के आवंटन को रद्द माना जाएगा. रिसीवर ने आगे कहा कि उन लावारिस फ्लैटों को बेचकर पर्याप्त राशि जुटाई जा सकती है जो इन अधूरी परियोजनाओं के निर्माण के लिए धन जुटाने में मददगार होगा.

बता दें कि अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर आम्रपाली समूह के मामलों का प्रबंधन देख रहा है और इस अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए धन जुटाने के सभी विकल्पों को तलाश रहा है.