पिछले कुछ सालों में Google के वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म YouTube पर कंटेंट क्रिएशन का ट्रेंड बहुत तेजी से बढ़ा है. यूट्यूब को फुल-टाइम करियर के तौर पर देखा जाने लगा है और यहां कंटेंट क्रिएशन इतना बड़ा हो चुका है कि भारत की GDP (Gross Domestic Product) में बड़ा योगदान दे रहा है. YouTube ने सोमवार को बताया कि प्लेटफॉर्म के क्रिएटिव इकोसिस्टम ने भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया और 2021 में देश में 750,000 से अधिक फुल-टाइम नौकरियों का समर्थन किया. 

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कंपनी ने यह भी घोषणा की है कि सिलेबस, दर्शकों के लिए एक सीखने का अच्छा अनुभव लाने के लिए एक नया प्रोडक्ट और क्रिएटर्स के लिए मॉनेटाइजशन का एक नया तरीका, 2023 में बीटा में शुरू होगा. यूट्यूब में दक्षिण पूर्व एशिया और एपीएसी उभरते बाजार के डायरेक्ट अजय विद्यासागर ने कहा, "हमें खुशी है कि यूट्यूब का क्रिएटिव इकोसिस्टम भारत की निर्माता अर्थव्यवस्था को शक्ति देना जारी रखता है, देश भर में नई नौकरियों और अवसरों का समर्थन करता है."

यूट्यूब की ओर से लेटेस्ट ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स अध्ययन के निष्कर्षो के अनुसार, आज दुनिया भर में भारत में अरबों लोग यूट्यूब क्रिएटर्स की ओर से बनाया गया कंटेंट कंज्यूम करते हैं. इसने क्रिएटर्स को मॉनेटाइजेशन के अवसरों को अनलॉक करने में मदद की है, जिससे कई लोग अपने जुनून को स्थायी करियर में बदल सकते हैं. 

यूट्यूब में भारत के डायरेक्ट, इशान जॉन चटर्जी ने कहा, "हम अपने दर्शकों को मूल्यवान कौशल सीखने और ज्ञान तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाने के तरीकों में निवेश करना जारी रखते हैं जो उन्हें अपनी क्षमता हासिल करने और अपने सपनों का पालन करने में मदद करता है." 

यूट्यूब ने घोषणा की है कि वह हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बंगाली और अंग्रेजी में 100 से अधिक चिकित्सा स्थितियों को कवर करने वाली विश्वसनीय सामग्री बनाने और बढ़ाने के लिए (नारायण, मणिपाल, मेदांता और शाल्बी सहित) और अधिक स्वास्थ्य संस्थानों के साथ काम करने के प्रयासों का विस्तार करेगा. 

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