WPI Inflation in July 2023: जुलाई के लिए भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून में माइनस 4.12 फीसदी से बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर माइनस 1.36 फीसदी पर पहुंच गई है. इसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी है. हालांकि खनिज तेल, बुनियादी उत्पाद, धातु, रसायन और रासायनिक उत्पाद, कपड़ा और खाद्य उत्पाद की कीमतों में गिरावट देखी गई.

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केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में लगातार चौथे महीने डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति डिफ्लेशनरी क्षेत्र में बनी हुई है. जून में जहां यह माइनस 4.12 फीसदी थी, वहीं मई में यह माइनस 3.48 फीसदी पर थी. ईंधन की कीमतों में नरमी और खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने के बीच यह लगातार चौथा महीना है जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही है. यह लगातर अप्रैल से शून्य से नीचे बनी हुई है. जून में यह (-) 4.12 प्रतिशत थी. पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी. 

महंगाई चढ़ने के पीछे क्या रहे कारण?

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘‘जुलाई 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई.’’  मार्च में, प्राथमिक वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों, ईंधन और बिजली के साथ-साथ भोजन सामग्री के इंडेक्स में भारी गिरावट के कारण WPI Inflation 29 महीने के निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर आ गया था. अक्टूबर 2015 में WPI Inflation अपने न्यूनतम स्तर माइनस 4.76 प्रतिशत पर आ गया था.

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