हाल ही में किए विवादित फैसले के बाद अब डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने 140 टन के स्पेशल गोल्ड इम्पोर्ट कोटा को नए सिरे आवंटन करने का फैसला किया है. DGFT ने इस बार India-UAE इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट के तहत 341 एप्लीकेंट्स को ये कोटा आवंटित करने का फैसला किया है. इसकी कीमत लगभग 10 बिलियन डॉलर बताई जा रही है. ज्यादातर स्वीकृत आवेदकों को 465 किलोग्राम सोने इम्पोर्ट का कोटा दिया आवंटित किया जा चुका है. इस पर 1 फीसदी से कम इम्पोर्ट ड्यूटी लगेगी. बता दें कि ये इम्पोर्ट डाटा मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए का है. 

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पहले 78 आवेदकों को दिया था कोटा

मार्च में, DGFT ने ये समान कोटा 78 आवेदकों को दिया था, जिसे बड़े पैमाने पर बुलियन प्लेयर्स ने प्री अरेंज्ड बताया था. ज़ी बिजनेस ने 18 मई को लेटेस्ट DGFT मीटिंग के मिनट्स चेक किए. ये बैठक एडिशनल डायरेक्टर जनरल संतोष कुमार सारंगी की अध्यक्षता में हुई थी, जहां कोटा को दोबारा एलोकेट किया गया था और बुलियन प्लेयर्स इस रिवीजन को कंफर्म किया था. 

बता दें कि स्पेशल गोल्ड इम्पोर्ट UAE के साथ द्विपक्षीय डील का हिस्सा है. जो विशिष्ट उत्पादों की एक निर्धारित मात्रा के आयात के लिए एक तंत्र टैरिफ दर कोटा (TRQ) के रूप में जानी जाने वाली योजना के तहत सामान्य से एक प्रतिशत कम आयात शुल्क के साथ स्वीकृत बुलियन व्यापारियों को 140 टन सोने का आयात करने की अनुमति देगा. बता दें कि 1 मई 2022 से India-UAE फ्री ट्रेड पैक्ट प्रभाव में आया था और इसके जरिए सोने पर रियायती टैरिफ के लिए अनुमति दी.

IBJA ने जताई थी आपत्ति

अप्रैल में, इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिशन (IBJA) ने DGFT को एक पत्र लिखा था और गोल्ड इम्पोर्ट कोटा डील में ट्रांसपेरेंसी की कमी को हाइलाइट किया था. ज़ी बिजनेस के पास पत्र दिखाता है कि IBJA ने DGFT के नॉन ट्रांसपेरेंसी व्यवहार की वजह से एलोकेशन प्रोसेस पर आपत्ति जताई थी. 26 अप्रैल को खबर आने के बाद DGFT ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि वो फ्रेश कोटा जारी करेंगे. पहले के दोषपूर्ण आवंटन पर सरकार को अनुमानित नुकसान हो सकता है. 

IBJA ने आरोप लगाया था कि ड्यूटी पर सरकार की छूट का लाभ 78 आवेदकों को दिया जा रहा था, जिन्हें टीआरक्यू के गलत आवंटन के कारण कोटा मिला था. टैरिफ कोटा उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए प्रदान किया गया था, जो अब तक मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र तक ही सीमित था. लेकिन इस साल ये स्कीम गोल्ड इम्पोर्ट के लिए भी शुरू की गई. डीजीएफटी ने मार्च में कोटा के लिए प्लेयर्स पर विचार करने का फैसला किया था क्योंकि सरकार ने मुक्त व्यापार समझौते के तहत संयुक्त अरब अमीरात से सोने के आयात का समर्थन किया था, जो आयात पर लगाए गए सामान्य 12.5 प्रतिशत से एक फीसदी कम आयात शुल्क लगाकर हस्ताक्षरित किया गया था.

21 अप्रैल को IBJA ने अपने पत्र में पूर्व-व्यवस्थित कोटा सौदे को इंगित करने के लिए एक चौंकाने वाली घटना सुनाई. इस पत्र में सारंगी को लिखा गया था कि 17 अप्रैल की सरकारी सार्वजनिक सूचना के संदर्भ में 23 मार्च को हुई डीजीएफटी की बैठक में 78 आवेदकों को 140 टन सोने के आयात का कोटा आवंटित किया गया था. 

IBJA ने उठाए ये सवाल

DGFT को लिखे गए IBJA के पत्र में कहा गया कि हम यह समझने में विफल हैं कि 23 मार्च को हुई बैठक में पब्लिक नोटिस नंबर 06/2023 दिनांक 17/04/2023 का रेफरेंस कैसे दिया गया, जिसे DGFT ने जारी किया था. ये वित्त मंत्रालय (रेवेन्यू विभाग) नोटिफिकेशन नंबर 20/2023- कस्टम दिनांक 31/03/2023 के साथ मिला था. 

पत्र में आगे लिखा गया कि 23 मार्च को हुई DGFT की बैठक के मिनट्स के मुताबिक, 140 टन गोल्ड के इम्पोर्ट के लिए TRQ कोटा 1 फीसदी कम ड्यूटी के साथ था, जो 78 आवेदकों को स्वीकृत हुआ था. पत्र में लिखा गया कि हम आपसे अबतक के एलोकेशन को कैंसिल और सभी योग्य आवेदकों को मौका देने की करने की अपील करते हैं. भविष्य में अप्रैल में जारी डीजीएफटी के सार्वजनिक नोटिस के आधार पर मार्च में होने वाली बैठक में इस तरह के प्रस्ताव को मंजूरी देना ठीक नहीं है. सबूत के तौर पर IBJA ने DGFT की मीटिंग के मिनट्स को अटैच किया है, जहां एलोकेशन कोटा अप्रैल सर्कुलर के आधार पर बनाया गया है. 

बीते साल जुलाई में, सरकार ने गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया था. इसी के साथ 2.5 फीसदी का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट सेस भी लागू किया गया, जिसके बाद कुल ड्यूटी 15 फीसदी की हो गई. बीते साल गोल्ड इम्पोर्ट में 27 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जो कि 673 टन रहा, जबकि साल 2021 में ये 925 टन था. 

ज़ी बिजनेस के सवाल पर DGFT ने कहा कि मार्च में किए गए एलोकेशन पर प्रस्तावित थे और गैर-निर्माता जौहरी को टीआरक्यू प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देने के लिए नीतिगत निर्णय में बदलाव के मद्देनजर नए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. जवाब में डीजीएफटी ने कहा कि आवेदकों की संख्या और आवेदन की मात्रा के आधार पर योग्य आवेदकों के पक्ष में तर्कसंगत आवंटन किया गया है. 

इसके अलावा DGFT ने कहा कि कोटा का आवंटन अक्सर या तो प्रसंस्करण क्षमता (जहां भी वास्तविक उपयोगकर्ता स्थिति मौजूद हो) या लागू मात्रा या दोनों के संयोजन पर आधारित होता है. गैर-पारदर्शिता का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि व्यापार एक दूसरे की क्षमता से पूरी तरह वाकिफ है. मौजूदा मामले में, गैर-निर्माता ज्वैलर्स को भी आवेदन करने की अनुमति देने के लिए नीतिगत निर्णय में बदलाव किया गया था, जिसके बाद आवेदन प्रक्रिया नए सिरे से शुरू की गई और कोटा आवंटित किया गया. अगर इस आवंटन के संबंध में रंचमात्र भी संदेह हो तो विशिष्ट मामले प्रस्तुत किए जा सकते हैं.

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