रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने आज रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती की है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 0.40 फीसदी घटा दिया है. इसके अलावा RBI ने आम पब्लिक के लिए सबसे बड़ा ऐलान किया है. RBI ने EMI में छूट की मोहलत को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया है. अब मोराटोरियम पीरियड 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाया गया है. मतलब यह है मार्च से मई तक 3 महीने और जून से अगस्त तक तीन महीने यानी कुल 6 महीने की छूट दी गई है. 

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RBI का मोरटोरियम पर बड़ा फैसला

बैंकों से कर्ज लेने वालों को मिली बड़ी राहत मिलेगी. लॉकडाउन बढ़ने से मोरोटोरियम और दूसरी राहत तीन महीने तक और बढ़ाई जा रही हैं. अब EMI देने पर राहत 1 जून से 31 अगस्त तक  लिए बढ़ाई गई है. मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भुगतान 31 मार्च 2021 तक किया जा सकता. 

RBI के इस फैसले को ज़ी बिज़नेस की रिसर्च टीम की सदस्य पूजा त्रिपाठी ने डीकोड किया है. आरबीआई के ऐलान से बैंकों को कहीं न कहीं दिक्कत होगी, क्योंकि उन्होंने प्रोविजनिंग काफी करनी पड़ सकती है. लेकिन, बैंकों से बड़ी दिक्कत NBFCs के लिए खड़ी हो सकती है. 

माइक्रो फाइनेंस पोर्टफोलियो से NBFCs को दिक्कत हो सकती है और 2 लाख करोड़ के लोन रीपेमेंट खतरे में आ सकते हैं. क्योंकि, अब ज्यादातर लोग इस मोरोटोरियम का फायदा उठाएंगे. NBFCs जिन्हें लोन देती है, उनमें लघु उद्योग और छोटे कारोबारी होते हैं. अब ऐसे लोगों को काम करने में दिक्कत हो रही है. कंपनियों के रेवेन्यू जेनरेट नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें काम नहीं मिल रहा है. कई लोगों की इनकम पूरी तरह ठप है. ऐसे में वो लोन रीपेमेंट नहीं कर पा रहे हैं.

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31 अगस्त तक मोराटोरियम बढ़ने से NBFCs को रीपेमेंट मिलने में दिक्कत होगी. यही नहीं, बैंक से भी उनको मोराटोरियम पीरियड पर उनको राहत नहीं मिल रही है. मतलब बैंक अभी भी NBFCs को राहत देने में हिचकचा रहे हैं. एक तरफ NBFCs को कोई राहत नहीं है. वहीं, NBFCs को अपने ग्राहकों को मोराटोरियम की राहत देनी पड़ेगी. अगर इस तरह की स्थिति बनती है तो एसेट मिसमैच की समस्या खड़ी होगी. साथ ही लिक्विडिटी की भी समस्या हो सकती है. साथ ही जो कंपनियां है उन्हें भी लॉकडाउन के बाद रिवावइल में छह से 9 महीने का टाइम लगेगा.