रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आरबीआई ने रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और बैंक रेट 5.40 फीसदी पर है.

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साल की आखिरी मॉनिटरी पॉलिसी में सभी 6 सदस्यों ने दरें नहीं घटाने के पक्ष में वोट किया. हालांकि, उम्मीद की जा रही थी कि ग्रोथ को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है.

महंगाई दर का अनुमान

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिए रिटेल महंगाई (CPI) 4.7-5.1 फीसदी रहने का अनुमान रखा है. आरबीआई की अगली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक 4 से 6 फरवरी 2020 को होगी.

GDP ग्रोथ अनुमान घटाया

MPC ने आपसी सहमति से माना कि आगे रेट कट करने की गुंजाइश है. हालांकि, ग्रोथ और महंगाई को देखते हुए फिलहाल रेट कट नहीं करने का फैसला किया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. इससे पहले अक्टूबर में RBI ने रियल GDP ग्रोथ 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.

शक्तिकांता दास ने क्या कहा

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास के मुताबिक, इकोनॉमिक एक्टिविटी कमजोर हुई है. आउटपुट भी कमजोर बना हुआ है. सरकार और RBI ने ग्रोथ बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. अगले साल बजट में बेहतर ढंग से पता चलेगा कि अर्थव्यवस्था के सपोर्ट में सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उसका क्या फायदा हुआ है. 

पॉलिसी की बड़ी बातें

ब्याज दर 5.15 फीसदी पर बरकरार.

आगे दरों में कटौती की गुंजाइश.

CPI को ध्यान में रखते हुए ग्रोथ पर फोकस.

अक्टूबर में महंगाई दर अनुमान से ज्यादा.

H2 FY20 अक्टूबर-मार्च महंगाई लक्ष्य बढ़ाकर 4.7-5.1 फीसदी.

H1 FY21 अप्रैल-सितंबर महंगाई लक्ष्य 3.8-4 फीसदी.

FY20 GDP ग्रोथ अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी.

छोटी अवधि में महंगाई दर बढ़ने का अनुमान.

ग्राहकों तक रेट कटौती का फायदा धीमे पहुंच रहा है.

अगली MPC की बैठक 4-6 फरवरी 2020.

पॉलिसी रुख अकोमोडेटिव.

आगे दरों में कटौती की गुंजाइश.

घरेलू मांग में कमी ग्रोथ के लिए चुनौती.

सरकारी खर्च बढ़ने से ग्रोथ को सहारा मिला.

अप्रैल-नवंबर के बीच FPI निवेश $880 करोड़.

3 दिसंबर तक फॉरेक्स रिजर्व $45,170 करोड़

महंगाई में बढ़त का सिलसिला कुछ देर जारी रह सकता है.

Q4FY20 में खाद्य महंगाई दर स्थिर हो सकती है.

रबी की बुआई में सुधार हुआ है.

निवेश को लेकर माहौल में सुधार के संकेत.

अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के लेंडिंग नियमों में बदलाव करेंगे

को-ऑपरेटिव बैंकों के ग्राहकों की सुरक्षा और मजबूत होगी.

को-ऑपरेटिव बैंकों के साइबर सिक्योरिटी नियम 31 दिसंबर तक.

बैंकों में सरप्लस लिक्विडिटी बरकरार.

जनवरी से मार्च 2020 तक खाने पीने की महंगाई काफी ज्यादा रहेगी.

टेलीकॉम की बढ़ी हुई दरें भी कोर महंगाई पर पडे़गा.

महंगाई को काबू रखना रिजर्व बैंक का प्रमुख मकसद.

आगे महंगाई के आउटलूक पर ज्यादा क्लियरिटी आएगी.

ग्रोथ में आगे बढोतरी होगी इसके संकेत दिख रहे है.

बजट के एलान से भी ज्यादा क्लेयरिटी आएगी.

सरकार ने पिछले 5 महीनों में कई कदम उठाए.

जून से अभी तक लिक्विडीटी की दिक्कत नहीं.

नए लोन में 44 बेसिस प्वाइंट ब्याज दरें कम हुई.

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क्या होता है रेपो रेट

रेपो रेट वो रेट या ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल और दूसरे बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि आरबीआई से बैंकों को मिलने वाला लोन सस्ता हो जाएगा. ऐसे में इसका फायदा आम लोगों को भी मिल सकता है. रेपो रेट कम हाने से होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की ब्याज दरों में भी कमी आती है.