जीएसटी (GST) काउंसिल मंगलवार (19 मार्च) को रीयल एस्‍टेट (Real Estate) क्षेत्र के लिए नए टैक्‍स नॉर्म्‍स का ऐलान कर सकता है. इसमें बिल्‍डर को बिल्डिंग मैटीरियल व सेवाओं पर भरे गए टैक्‍स क्रेडिट का लाभ कैसे दिया जाए, इस पर फैसला संभव है. GST काउंसिल ने जो फॉर्मूला तैयार किया है उसमें ग्राहकों के साथ-साथ बिल्‍डरों को भी फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. आचार संहिता लागू होने के कारण इस बैठक के लिए चुनाव आयोग ने अनुमति दी है.  

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1 अप्रैल से रीयल एस्‍टेट पर लागू होने वाली नई टैक्‍स संरचना में बिल्‍डर के लिए अलग व्‍यवस्‍था होगी. सीए अरविंद दुबे ने जी बिजनेस डिजिटल को बताया कि कई बार बिल्‍डर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का लाभ घर खरीदारों को नहीं देते थे. ऐसी शिकायत मिलने पर सरकार ने टैक्‍स नियम बदले हैं. यानि 1 अप्रैल के बाद बिल्‍डर को इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि सरकार बिल्‍डरों के फायदे की भी सोच रही है.

GST काउंसिल ने 24 फरवरी को अर्द्धनिर्मित मकान, फ्लैट पर टैक्‍स की दरों में कमी की थी. इसे 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया था. वहीं अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन अफोर्डेबल मकानों, फ्लैटों पर GST दर 8 फीसदी से 1 फीसदी कर दी गई थी. यह टैक्‍स रेट 1 अप्रैल से प्रभावी होगा. काउंसिल ने आकार और लागत दोनों मामले में अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्‍ट की परिभाषा में भी बदलाव किया था.

 

मेट्रो शहरों में 60 वर्गमीटर तक कारपेट एरिया वाले घरों और गैर-मेट्रो शहरों में 90 वर्गमीटर तक कारपेट एरिया वाले घरों को सस्ते आवास के तहत वर्गीकृत किया गया था. लागत के मामले में 45 लाख रुपये की संपत्ति को सस्ते आवास की श्रेणी में रखा गया है. देश के 7 बड़े नगरों में तकरीबन 6 लाख निर्माणाधीन घर हैं. इससे उनकी ब्रिकी बढ़ने की उम्मीद जताई गई थी.