Mukesh Ambani on Indian Economy: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने शनिवार को कहा कि वह नए भारत के उदय को लेकर बेहद कॉन्फिडेंट हैं. न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक मुकेश अंबानी ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा कि वो देख सकते हैं कि भारत की भावना पहले से कहीं ज्यादा बेहतर है. 

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अंबानी ने कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में भारत और दुनिया में नाटकीय बदलाव आया था. कम्युनिस्ट सोवियत संघ का पतन हो गया, शीत युद्ध समाप्त हो गया और भारत आर्थिक सुधारों के एक नए साहसिक रास्ते पर चल पड़ा. अंबानी ने कहा, "तीस साल बाद, ग्लोबल ऑर्डर फिर से बदल रही है. इस बदलाव की गति, पैमाना और सार अभूतपूर्व और अप्रत्याशित है. लेकिन एक बात तय है कि भारत का समय आ गया है."

हमारी इकोनॉमी में आया है सुधार

अंबानी ने कहा, "भाग्य और गति 21वीं सदी के भारत को एक बड़ी छलांग के लिए तैयार कर रहे हैं. भारत समृद्धि के द्वार पर खड़ा है, जो महत्वपूर्ण है. अपनी क्षमता पर विश्वास और सामूहिक प्रयास से हम दुनिया की अपक्षेओं पर खरे उतर सकते हैं. अंबानी ने कहा कि मेरे इस विश्वास का आधार हमारा हालिया अतीत है. 1991 में, भारत ने अपनी इकोनॉमी की दिशा और निर्धारक दोनों को बदलने में दूरदर्शिता और साहस दिखाया. इन सुधारों ने भारत को तेज गति से विकास की ओर प्रेरित किया.

अंबानी के कहा कि इसका परिणाण सबके सामने है. 1991 में 266 बिलियन डॉलर जीडीपी की इकोनॉमी (Indian Economy) आज दस गुना बढ़ चुकी है. भारत दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल है. जनसंख्या के 880 मिलियन से बढ़कर 1.38 बिलियन होने के बावजूद गरीबी दर आधी हो गई है. प्रमुख बुनियादी ढांचों में सुधार हुआ है. हमारे एक्सप्रेस वे, हवाई अड्डे और पोर्ट्स अब विश्वस्तरीय हैं. 

अंबानी ने कहा कि आज भारत के युवा को यह मानने में आश्चर्य होगा कि कभी लोगों को टेलीफोन या गैस कनेक्शन लेने के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता था, या व्यापारियों को एक कंप्यूटर खरीदने के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी.

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अंबानी ने कहा कि भारत 1991 में कमी वाली अर्थव्यवस्था से 2021 में पर्याप्ता वाली अर्थव्यवस्था में बदल चुका है. अब 2051 तक भारत को एक टिकाऊ और समृद्ध अर्थव्यवस्था में बदलना है. 

हमें बड़े सपने देखने का है अधिकार

अंबानी ने आगे कहा कि पिछले तीन दशकों में अपनी तमाम उपलब्धियों के साथ हमने बड़े सपने देखने का अधिकार भी कमाया है. तो क्या 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी भारत, अमेरिका और चीन के साथ दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल होकर नही मना सकता है? क्या यह बहुत बड़ी महत्वकांक्षा है? नहीं. मेरे दूरदर्शी पिता धीरूभाई अंबानी जो 1980 में उदारीकरण (liberalisation of India) के शुरुआती पैरोकारों में से थे, मुझसे कहा करते थे, छोटा सोचना एक भारतीय के  लिए अशोभनीय है.

उन्होंने पूछा कि इस महत्वकांक्षा को कैसे साकार कर सकते हैं? धन सृजन के हमारे अपने अद्वितीय भारतीय और आत्मानिर्भर मॉडल का पालन करते हुए, बाकी दुनिया के साथ सहयोग करते हुए, और सभी सही सबक सीखते हुए. इसके लिए अंबानी ने पांच व्यापक विचार दिए हैं. 

1. समान आर्थिक सुधार

अंबानी ने कहा कि मेरा पहला विचार है कि अब तक आर्थिक सुधारों से सभी भारतीयों को समान लाभ नहीं हुआ है और असामनता न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही यह टिकाऊ होती है. इसलिए विकास के भारती मॉडल को आर्थिक पिरामिड में नीचे के लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. हमारी सबसे बड़ी ताकत भारत का विशाल घरेलू बाजार है, जो कि अभी भी काफी हद तक अनछुआ है. जब हम एक अरब लोगों को मिडिल क्लास की श्रेणी में लाने में कामयाब हो जाएंगे, तो हमारी इकोनॉमी में चमत्कारी बढ़त देखने को मिलेगी. जब इतने सारे लोग एक बेहतर जीवन के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे, तो वे उपभोग और उत्पादन को बढ़ावा देंगे. इससे महिला और युवा उद्यमियों में वृद्धि होगी.दुनियाभर के निवेशक इस विशाल भारत की तरक्की में हिस्सेदार बनना चाहेंगे. इस लक्ष्य को हासिल करना अतीत में असंभव सा लगता था, लेकिन अब नहीं.

2. औद्योगिक क्रांति के नेतृत्व का अवसर

मेरा दूसरा विचार है कि यह तकनीक का युग है. दुनिया अगले तीस वर्षों में पिछले 300 वर्षों से ज्यादा बदलाव देखेगी. पहली दो औद्योगिक क्रांतियों में हारने और तीसरी में पकड़ बनाने के बाद भारत के पास अब चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने का अवसर है. तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से हमारे व्यापरी प्रोडक्शन और कुशलता में काफी वृद्धि हासिल कर सकते हैं. इससे केवल बड़े व्यापरी ही नहीं, बल्कि कृषि, MSME,रिन्यूबल एनर्जी और कला क्षेत्र को भी बल मिलेगा. ये वो क्षेत्र हैं, जो बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर दे सकते हैं. इनसे हमें शिक्षा, स्वास्थ्य और हाउसिंग में समानता मिल सकती है, और यह जरूरी भी है, क्योंकि 2050 तक हमारी जनसंख्या के 1.64 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है. संक्षेप में, प्रत्येक भारतीय के लिए एक बेहतर भारत और अधिक समान भारत बनाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित विकास सबसे पक्का तरीका है.

3. इनोवेशन से आएगा निवेश

मेरा तीसरा विचार है कि भारत को इन संभावनाओं को हकीकत बनाने के लिए इनोवेटर्स का देश बनना होगा. परंपरागत रूप से, भारत लो-टेक गतिविधियों में ज्यादा इनोवेटिव रहा है. अब हमें हाई-टेक उपकरणों का उपयोग करके इस कौशल को दोहराना होगा ताकि वे विकास की गति बढ़ा सकें. इनोवेशन से हम भारत के लिए हाई क्वालिटी प्रोडक्ट्स कम दाम में बना पाएंगे. जिसे निर्यात बाजार में भी पेश किया जा सकता है. इससे भारत में बहुमूल्य विदेशी धनों के संग्रह में भी वृद्धि होगी. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अपने कौशल को बढ़ाना होगा, इसके साथ ही शिक्षा प्रणाली में सुधार भी आवश्यक है. हमें विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों का तेजी से निर्माण करना चाहिए और भारत की 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा संस्थानों को अपग्रेड करना चाहिए.

4. वेल्थ की परिभाषा बदलने की जरूरत

चौथा विचार है कि हमें वेल्थ को लेकर अपनी समझ को बदलने की जरूरत है और इसे भारत के प्राचीन ज्ञान के साथ मिलाने की आवश्यकता है. काफी लंबे समय से हम वेल्थ को केवल पर्सनल और फाइनेंशियल तरीकों से मापते रहे हैं. हमने इस सच्चाई की उपेक्षा की है कि भारत की असली संपत्ति 'सभी के लिए शिक्षा', 'सभी के लिए स्वास्थ्य', 'सभी के लिए रोजगार', 'सभी के लिए अच्छा आवास', 'सभी के लिए पर्यावरण सुरक्षा', 'खेल, संस्कृति', सभी के लिए कला' और 'सभी के लिए आत्म-विकास के अवसर' हैं. संक्षेप में, 'सभी के लिए खुशी' हासिल करना ही वास्तविक वेल्थ है. वेल्थ के इन मापदंडों को प्राप्त करने के लिए, हमें व्यवसाय और समाज देखभाल और सहानुभूति लाना होगा.

5. हेल्दी कंपटीशन को बढ़ावा

पांचवां विचार है कि भारत में वेल्थ बनाने के लिए उद्यमिता की पुन: संकल्पना की आवश्यकता है. कल के सफल बिजनेस पार्टनरशिप और प्लेटफॉर्म वे होंगे, जो हेल्दी कंपटीशन को बढ़ावा देंगे. भविष्य में अकेले बिजनेस चलाना फायदे का सौदा नहीं होगा. अंबानी ने कहा कि रिलायंस में हम देखते हैं कि यह एक 'स्वामित्व मानसिकता' वाले पेशेवरों और कर्मचारियों का संगठन है, जो भागीदारों और निवेशकों से जुड़े हुए हैं, जो सभी महात्मा गांधी को 'अंत्योदय' (अंतिम व्यक्ति का कल्याण और कल्याण) के सामान्य लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं.

अंबानी ने कहा, "आइए हम सकारात्मकता, उद्देश्य और जुनून के साथ अपने देश के आगे बढ़ने में तेजी लाएं. यह सच है, आगे की राह आसान नहीं है. लेकिन हमें कोरोना जैसी महामारियों और महत्वहीन मुद्दों से विचलित नहीं होना है. हमारे पास अवसर है और यह जिम्मेदारी भी कि अगले तीस वर्ष हम अपनी अगली पीढ़ी को स्वतंत्र भारत का सबसे अच्छा इतिहास बनाकर दें.