Inflation in India: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई (Inflation) कम होकर वहन कर सकने के लेवल पर पहुंच गई है, इसलिए सरकार के लिए देश की आर्थिक वृद्धि ही प्राथमिकता बनी हुई है.  एक इवेंट ‘इंडिया आइडियाज समिट’ में वित्त मंत्री (finance minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि रोजगार सृजन और धन का समान वितरण और दूसरे क्षेत्र हैं, जिन पर सरकार का ध्यान है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कुछ निश्चित तौर पर प्राथमिकताएं हैं और कुछ उतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं. प्राथमिकताओं में शामिल हैं रोजगार, धन का समान वितरण और यह सुनिश्चित करना कि भारत वृद्धि के रास्ते पर बढ़े.

खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से राहत

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खबर के मुताबिक, सीतारमण ने आगे कहा कि इस लिहाज से मुद्रास्फीति प्राथमिकता नहीं है. आपको इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए बीते कुछ महीनों में हम इसे वहनीय स्तर पर लाने में कामयाब रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से मुद्रास्फीति (Inflation) कम होकर 6.71 फीसदी पर आ गई. हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से लगातार सातवें महीने ऊपर बनी रही.

जून और जुलाई में खुदरा महंगाई

जून 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत जबकि जुलाई 2021 में 5.59 प्रतिशत थी. अप्रैल से जून के बीच यह सात फीसदी के ऊपर बनी रही. वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और यूरोपीयन सेंट्रल बैंक द्वारा दरों में तेज वृद्धि से उत्पन्न अस्थिरता से रिजर्व बैंक निपट लेगा. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते पैदा हुए वैश्विक ऊर्जा संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है.

अभी भी बढ़ सकते हैं नीतिगत दर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister Nirmala Sitharaman) ने भुगतान प्रौद्योगिकी (पेमेंट टेक्नोलॉजी) समेत हर लिहाज से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और गहरा करने का आह्वान किया.  रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. ऐसी स्थिति में आरबीआई सितंबर के आखिर में प्रस्तावित मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और बढ़ोतरी कर सकता है.