Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं. रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 12 से 13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इक्रा ने अप्रैल में कारोबार गतिविधि सूचकांक 13 माह के दूसरे सर्वोच्च स्तर पर होने का जिक्र किया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट (India gdp latest forecast) काफी अच्छी रह सकती है.

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वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुमान

खबर के मुताबिक, हालांकि, इक्रा ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा है. इसके पीछे बढ़ती मुद्रास्फीति और नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसी वजहें हैं. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल महीने के लिए हमारा कारोबार गतिविधि सूचकांक यह संकेत देता है कि एक साल पहले और कोविड-पूर्व स्तर की तुलना में गतिविधियां करीब 16 प्रतिशत ज्यादा रही हैं.

तेज ग्रोथ का सिलसिला मई में भी रहने की उम्मीद

इक्रा का यह भी कहना है कि तेज ग्रोथ (Indian Economy) का सिलसिला मई में भी कायम रह सकता है. इस तरह वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी (GDP) वृद्धि दहाई अंकों में रहते हुए 12-13 प्रतिशत तक रहनी चाहिए. हालांकि, यह तीव्र वृद्धि आगे बनी नहीं रह पाएगी और मात्रा और संख्या के लिहाज से सालाना वृद्धि मध्यम रह सकती है. नायर का मानना है कि लागत बढ़ने से सकल मूल्य संवर्द्धन (जीवीए) ग्रोथ रेट सिंगल डिजिट में ही बनी रह सकती है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हमने वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी (India gdp latest forecast) वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है.

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ईंधन की बढ़ती कीमतें और यूक्रेन संकट बड़ा जोखिम

मुद्रास्फीति और ग्रोथ (India gdp latest forecast) के लिए सबसे बड़ा जोखिम ईंधन की बढ़ती कीमतें और यूक्रेन संकट का संभावित असर हैं. अगर रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध जल्दी थमता नहीं है, तो इसका प्रभाव अनुमान से कहीं ज्यादा होगा. नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक जून और अगस्त में होने वाली अगली दो द्विमासिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25-0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. वहीं रिजर्व बैंक का भावी कदम युद्ध की दिशा और जिंस कीमतों पर इसके असर से तय होगा.