Indian economy news: देश की विकास दर में आने वाला साल चुनौतीपूर्ण हो सकता है. महंगाई और कंज्यूमर डिमांड में मौद्रिक नीति के सामान्य होने को लेकर चिंताओं के चलते आने वाला साल पिछले दो साल की तुलना में ज्यादा जोखिम भरा रह सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, वॉल स्ट्रीट की एक ब्रोकरेज कंपनी बीओएफए (BofA) ने अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.2 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान व्यक्त किया है. इसमें कई जोखिम भरे फैक्टर्स को ध्यान में रखा गया है.

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उपभोक्ता मांग का पटरी से उतरना सबसे बड़ा जोखिम 

खबर के मुताबिक, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज इंडिया (बीओएफए) के अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी को लेकर अपने अनुमान (gdp india forecast) में कहा है कि बीते कई सालों से ग्रोथ का मुख्य कारक रही उपभोक्ता मांग का पटरी से उतरना सबसे बड़ा जोखिम है. उनका मानना है कि उपभोक्ताओं की मांग अगले वित्त वर्ष में भी विकास का मुख्य कारक बनी रहेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था (indian economy) पर इसका असर देखने को मिलेगा. 

रेपो दर को 100 बीपीएस तक बढ़ा सकता है आरबीआई

मुद्रास्फीति (महंगाई) और मौद्रिक नीति सामान्यीकरण के उपभोक्ता मांग पर असर को इस पूर्वानुमान में सबसे बड़े जोखिम के कारक बताते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो दर को 100 बीपीएस तक बढ़ा सकता है. उन्हें आशंका है कि इससे उपभोक्ता मांग पर बुरा असर पड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक और बड़ा जोखिम अगले साल खराब मॉनसून का पूर्वानुमान भी है. गौरतलब है कि पिछले तीन साल मॉनसून अच्छा रहा, जिससे कृषि क्षेत्र को फायदा मिला.

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गोल्डमैन सैश का पूर्वानुमान

पिछले महीने गोल्डमैन सैश ने अगले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में विकास दर 9.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. जबकि चालू वित्तीय वर्ष के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. बीते वित्त वर्ष 2020-21 में देश की वृद्धि दर में 7.3 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी.