Indian Economy Growth Rate: घरेलू रेटिंग एजेंसी CRISIL का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था 6 फीसदी की दर से बढ़ेगी. एजेंसी के मुताबिक, अगले पांच सालों तक देश की अर्थव्यवस्था औसत 6.8 फीसदी की दर से ग्रोथ करेगी. क्रिसिल का यह अनुमान अर्थव्यवस्था की वृद्धि के बारे में लगाए गए अन्य आकलन के समान है. एजेंसी का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में डबल डिजिट वृद्धि हो सकती है. 

इस फिस्कल ग्रोथ रेट 7 फीसदी का अनुमान

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NSO यानी नेशनल स्टेटिकल ऑर्गनाइजेशन का मानना है कि चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 में वृद्धि दर 7 फीसदी रह सकती है. ज्यादातर विश्लेषक इसे एक महत्वाकांक्षी आंकड़ा मान रहे हैं. सात फीसदी की कुल वृद्धि दर के लिए अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष की मौजूदा तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2023 में 4.5 से अधिक की दर से बढ़ना होगा.

ग्लोबल इकोनॉमी का सेंटिमेंट निराशाजनक

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने अपने वार्षिक वृद्धि अनुमान में कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, लगातार ऊंची महंगाई और इसका मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी ने वैश्विक परिवेश को और अधिक निराशाजनक बना दिया है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर अगले फिस्कल दिखेगा

उन्होंने कहा कि मई, 2022 से नीतिगत दर रेपो में 2.5 फीसदी की वृद्धि का प्रभाव अगले वित्त वर्ष में अधिक देखने को मिलेगा. ऊंचे आधार प्रभाव की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के अगले वित्त वर्ष में औसतन पांच फीसदी पर रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में यह करीब 6.8 फीसदी रहेगी.

रबी फसल की मददसे फूड इंफ्लेशन में कमी आएगी

हालांकि, रबी की अच्छी फसल से खाद्य महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी, जबकि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था से मुख्य महंगाई नरम होगी. एजेंसी के प्रबंध निदेशक अमीश मेहता ने कहा कि देश की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाएं बेहतर हैं. हमें उम्मीद है कि अगले पांच वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसतन सालाना वृद्धि दर 6.8 रहेगी.

 

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