भारत में तेजी से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का चलन बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल कंपनियां EV मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्लांट को अपग्रेड कर रही हैं. EV लीथियम बैटरी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2030 तक लीथियम बैटरी के लिए 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. इससे शेल मैन्युफैक्चरिंग और कच्चे माल की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.

Li-ion सेल के लिए चीन पर निर्भर

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Arthur D Little ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी किया. रिपोर्ट के मुताबिक अभी भारत का लीथियम-आयन (Li-ion) बैटरी की डिमांड 3 GWh है, जोकि 2026 तक 20 GWh और 2030 तक 70 GWh हो जाएगी. मौजूदा समय में भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी Li-ion सेल चीन और हॉन्गकॉन्ग से इंपोर्ट करता है.  

10 लाख से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे

रिपोर्ट के मुताबिक भारत को सेल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और कच्चे माल की रिफाइनिंग क्षमता पर 2023 तक निवेश बढ़ाना होगा, जोकि 10 अरब डॉलर होगा. इससे बैटरी मैन्युफैक्चरिंग और उससे जुड़े बिजनेस और सर्विसेस में 10 लाख या उससे ज्यादा रोजगार पैदा होंगे. भारत को चीन से सीखने सकता है, कि कैसा उसने पिछले 10 सालों में EV बैटरी सेक्टर का तेजी से विस्तार किया. साथ ही ई-मोबिलिटी में दिग्गज सप्लायर बनकर उभरा.

भारत को भी बूस्ट करना होगा EV मैन्युफैक्चरिंग

EV के जरिए R&D में निवेश, सरकारी नीतियों, FDI निवेश और दुनियाभर में कच्चे माल के रिसोर्सेज का तेजी से अधिग्रहण करना का फायगा चीन को मिल रहा है. चीन इस समय दुनियाभर में नेक्स्ट-जनरेशन EV में सबसे आगे है. इससे सीखते हुए भारत कच्चे माल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देशों से द्वीपक्षीय समझौतों और घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. 

सरकार और इंडस्ट्री को साथ मिलकर काम करना होगा

यही नहीं सरकार और इंडस्ट्री को मिलकर बैटरी के लिए एक सप्लाई चेन बनाना चाहिए और देश को एक एक्सपोर्ट हब बनाना चाहिए. साथ ही साथ बैटरी के इस्तेमाल, सेकेंडरी एप्लीकेशन और रीसाइकलिंग के लिए इंसेंटिव के लिए रेगुलेशन तैयार कर सकता है. EV शेल ई-मोबिलिटी वैल्यू चेन के लिए काफी अहम है. लेकिन भारतीय EV इंडस्ट्री इंपोर्ट पर ज्यादा निर्भर है, जिससे इंडस्ट्री को काफी नुकसान भी हो रहा है. ऐसे में भारत के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ग्रोथ को तेज करने के लिए सरकार और इंडस्ट्री इकोसिस्टम को साथ मिलकर काम करना होगा.