खरीद क्षमता यानी PPP के हिसाब से इस साल तक भारत की इकोनॉमी UK के मुकाबले 3.6 गुना, जापान के मुकाबले 2.1 गुना और जर्मनी के मुकाबले 2.5 गुना बड़ी है. जबकि 2022 तक चीन इसके शीर्ष रैंकिंग वाले देश के रूप में उभरा था. यह दिल्ली आधारित नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन SPRF (सोशिल पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन) की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि  जर्मनी, जापान और यूके जैसे देशों में पिछले कुछ वर्षों में जीडीपी (PPP) रैंकिंग में गिरावट लगातार जारी है. वहीं भारत ने जीडीपी (पीपीपी) में इन सालों में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है.

PPP आधारित जीडीपी तेजी से बढ़ रही है

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जीडीपी (PPP) का मतलब है खरीद की क्षमता पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद. पीपीपी दो या दो से अधिक देशों में समान वस्तुओं और सेवाओं की कीमत को समझने और उसकी तुलना करने का माध्यम है. रिपोर्ट में कहा गया है, "पीपीपी पर वैश्विक जीडीपी के फीसदी को देखा जाए तो इसके अनुसार भारतीय जीडीपी (पीपीपी) की हिस्सेदारी काफी बढ़ी है, जबकि इस दौरान अमेरिका, जापान, रूस और अन्य देशों की हिस्सेदारी घटी है."

हाई PPP का मतलब अपने देश में कीमत कम

रिपोर्ट के अनुसार, "देश में उच्च पीपीपी का मतलब है कि भारतीय उपभोक्ता के लिए भारत के अंदर आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर जो खर्च हो रहा है वह जापान, जर्मनी या यूके के उपभोक्ताओं की तुलना में सस्ता है." भारत की अर्थव्यवस्था में तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो आश्चर्यचकित करने वाली है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नवीनतम आंकड़ों की मानें तो वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए देश की आर्थिक विकास दर अब 7.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

FY24 के लिए ग्रोथ का अनुमान 7.6% रखा गया है

जीडीपी में 8.4 फीसदी की उच्च वृद्धि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दोहरे अंक की वृद्धि के साथ 11.6 फीसदी, जबकि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अच्छी वृद्धि (9.5 फीसदी) की वजह से देखी गई है. सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद 7.6 फीसदी की मजबूत स्थिति में रही, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 7 फीसदी थी."