माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद अगले महीने अग्रिम निर्णय अपीलीय प्राधिकरण (एएएआर) की राष्ट्रीय पीठ के गठन के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. इस कदम का मकसद विभिन्न राज्यों में एएआर द्वारा एक जैसे मामलों पर जारी विरोधाभासी फैसलों में सामंजस्य स्थापित करना है. सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग एएएआर की राष्ट्रीय पीठ के विचार पर गौर कर रहा है. उसका मानना है कि मौजूदा रूप में एएआर व्यवस्था करदाताओं को जीएसटी के तहत निश्चिंतता उपलब्ध नहीं करा पा रही है.

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एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दूसरा एएएआर गठन करने का विचार बना है. यह राष्ट्रीय पीठ होगी जो राज्यों के एएआर द्वारा दिए गए विरोधाभासी फैसलों में सामंजस्य बैठाने का काम करेगा.’’ विभिन्न राज्यों के एएआर ने अभी तक 470 आदेश पारित किए हैं. वहीं एएएआर ने मार्च, 2019 तक 69 आदेश पारित किए हैं. राज्यों के एएआर द्वारा पारित आदेशों में करीब दस मामलों में विरोधाभास है. हालांकि, कुछेक मामलों पर बाद में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्टीकरण दिया है.

अधिकारी ने कहा कि दूसरा अपीलीय प्राधिकरण स्थापित करने के लिए जीएसटी कानून में संशोधन करना होगा. यह कानून अपने मौजूदा रूप में केंद्रीयकृत प्राधिकरण की अनुमति नहीं देता. एएएआर की राष्ट्रीय पीठ के गठन से जीएसटी व्यवस्था में एक निश्चिंतता लाने में मदद मिलेगी. एएआर के विरोधाभासी फैसलों से उद्योग किसी कारोबारी निर्णय के लिए कर प्रभाव को तय नहीं कर पाता है.

अधिकारी ने कहा कि राज्यों की सहमति के बाद ही एएएआर की राष्ट्रीय पीठ की रूपरेखा तय की जा सकेगी. विरोधाभासी फैसलों से पैदा हुई असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए राजस्व विभाग ने पिछले साल अग्रिम निर्णय के लिए केंद्रीयकृत अपीलीय प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया था जिससे इस तरह के मामलों में एकरूपता लाई जा सके.

केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने जुलाई, 2018 में हुई अपनी बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार करना था लेकिन उस समय परिषद इसको लेकर किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकी थी. जीएसटी कानून के तहत प्रत्येक राज्य को एएआर की स्थापना करना जरूरी है. इसमें एक सदस्य केंद्रीय कर विभाग का और एक संबंधित राज्य का होता है.