पिछले कुछ महीनों में कोरोनावारस के चलते जीएसटी (GST) रेवेन्यू में क्षतिपूर्ति को लेकर जीएसटी काउंसिल (GST Council) की सोमवार को तीसरी मीटिंग होगी. इस मीटिंग में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की क्षतिपूर्ति को लेकर आम सहमति बनाने के लिये एक मंत्रिस्तरीय समिति गठित करने के कुछ राज्यों के सुझाव पर गौर किया जा सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सूत्रों ने इसकी जानकारी आज दी.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली काउंसिल लगातार तीसरी बार जीएसटी रेवेन्यू में कमी की क्षतिपूर्ति पर विचार-विमर्श करेगी. विपक्षी पार्टियों के शासन वाले कुछ राज्यों का कहना है कि इस मामले में आम सहमति बनाने के लिये मंत्रिस्तरीय समिति का गठन होना चाहिए.

खबर के मुताबिक, भाजपा शासित राज्य लोन के दिये गए ऑप्शन पर पहले ही केंद्र से सहमत हो चुके हैं और इनका मानना है कि उन्हें अब लोन लेने की दिशा में आगे बढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिये, ताकि उन्हें जल्द राशि उपलब्ध हो सके. सूत्रों ने कहा कि जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक का एकसूत्रीय एजेंडा क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर आगे का रास्ता निकालना है.

जीएसटी काउंसिल ने पिछले सप्ताह हुई मीटिंग में यह फैसला किया था कि कार, तंबाकू आदि जैसे लग्जरी प्रोडक्ट पर जून 2022 के बाद भी सेस (उपकर) लगाया जाएगा. हालांकि उस मीटिंग में क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन पाई थी. चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्षतिपूर्ति रेवेन्यू में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है.

केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो ऑप्शन दिया है. पहला, रिजर्व बैंक की तरफ से 97 हजार करोड़ रुपये के लोन के लिये स्पेशल सुविधा दिया जाना और दूसरा, पूरे 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से जुटाने का प्रपोजल है.

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केंद्र सरकार का कहना है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति राजस्व में अनुमानित कमी में महज 97 हजार करोड़ रुपये के लिये जीएसटी में अमल जिम्मेदार है. बाकी कमी की वजह कोरोनावायरस महामारी है. कुछ राज्यों की डिमांड के बाद पहले ऑप्शन के तहत उधार की स्पेशल लोन व्यवस्था को 97 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया.