सरकार इस समय जिस योजना पर पूरे जोर-शोर से काम कर रही है उससे अगले कुछ महीनों में देश के 11.5 करोड़ किसान (Farmer) परिवारों से सीधा संपर्क किया जा सकेगा. अगर, सब कुछ योजना के अनुसार चला तो जून 2020 तक सरकार के पास देश के किसानों का एक बड़ा डाटा बैंक (Data Bank) होगा.

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केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव संजय अग्रवाल की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय समिति IT मंत्रालय और उसके नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन यानी NEGD के साथ मिलकर इस पर काम कर रही है और PMO ने तय समयसीमा के तहत डाटा संकलन की इस बड़ी परियोजना को पूरा करने की कोशिश करने को कहा है.

इस डाटाबेस से देश के छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आनेवाला है. डाटा से किसानों का सशक्तीकरण होगा क्योंकि इससे अब मिट्टी की जांच हो या बाढ़ की चेतावनी, सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीर से लेकर जमीन का राजस्व रिकॉर्ड जैसी तमाम सूचनाएं किसानों घर बैठे ही मिल जाएंगी. 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'अगले छह महीने में एक बार डाटाबेस बन जाने के बाद किसान बाजार की तमाम सूचनाएं ले सकेंगे. वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में यह एक गेम चेंजर साबित होने जा रहा है.'

उन्होंने बताया, 'कार्य कृषि सचिव के अलावा आधार कार्ड योजना को अमलीजामा पहनाने वाले पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव जे. सत्यनारायण और कई आईटी विशेषज्ञों की देखरेख में यह काम चल रहा है.' 

दरअसल, इस व्यापक डाटा संकलन की प्रेरणा प्रधानमंत्री मोदी की अति महत्वपूर्ण योजना पीएम-किसान सम्मान निधि मिली है अब तक देश के 7.20 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ मिलने लगा है. सिर्फ उत्तर प्रदेश से इस डाटा बैंक में 2.10 करोड़ किसान शामिल हो गए हैं.