बजट 2019 के लिए दस्‍तावेजों की छपाई हलवा रस्‍म के साथ ही शुरू हो गई है. सोमवार को वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की गैरमौजूदगी में वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने ब्‍लॉक ऑफि‍स में हलवा बांटकर बजट दस्‍तावेजों की छपाई की शुरुआत की. यह एक पुरानी परंपरा है, जो कई साल से चली आ रही है. इस रस्‍म के तहत एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है और इसे मंत्रालय के सभी कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है.

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एक फरवरी को मोदी सरकार की तरफ से अंतरिम बजट पेश होना है. परंपरा के मुताबिक बजट से ठीक कुछ दिन पहले 'हलवा सेरेमनी' का आयोजन होता है. हलवा सेरेमनी से बजट के लिए जो मसौदा तैयार किया गया है, उसकी प्रिंटिंग शुरू की जाती है. हालांकि, इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सेरेमनी का हिस्सा नहीं बन सके. वह स्वास्थ्य कारणों से इन दिनों न्यूयॉर्क में हैं. उनकी गैर मौजूदगी में वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला, वित्तीय मामलों के आर्थिक सचिव सुभाष गर्ग और सड़क परिवहन राज्यमंत्री राधाकृष्ण ने यह रस्म निभाई.

हलवा बनाने की परंपरा

बजट प्रिटिंग से पहले हलवा बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. हलवा बनाने के लिए कढ़ाई में घी वित्त मंत्री से ही डलवाया जाता है. वित्त मंत्री अपने हाथ से कढ़ाई में हलवा बनाने की शुरुआत करते हैं. इसके बाद हलवाई पूरा हलवा तैयार करता है. रस्म निभाने के लिए वित्त मंत्री वहां मौजूद कर्मचारी व सहयोगियों को अपने हाथ से हलवा परोसते हैं.

'हलवा रस्म' के बाद 100 लोग हो जाते हैं कमरे में बंद

मंत्रालय में होने वाली ‘हलवा रस्म’ के बाद बजट बनाने और उसकी छपाई से सीधे जुड़े बड़ी संख्या में अधिकारी और उनके सहयोगी कर्मचारियों को मंत्रालय में ही रहना पड़ता है. संसद में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किए जाने तक ये कर्मचारी अपने परिवार से पूरी तरह कटे रहते हैं. इन कर्मचारियों को ईमेल, मोबाइल समेत किसी भी संचार साधनों से अपने परिजन से संपर्क करने की अनुमति नहीं होती. वित्त मंत्रालय के केवल वरिष्ठ अधिकारियों को ही घर जाने की अनुमति होती है.

गोपनीयता के चलते बंद रहते हैं कर्मचारी

बजट के प्रारूप को और इस प्रक्रिया को बहुत ही गोपनीय रखा जाता है. यहां तक कि इसे बनाने वालों को भी गोपनीय रखा जाता है. वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में बजट डॉक्युमेंट की प्रिंटिंग की जाती है. इसलिए लोगों को उसी बेसमेंट में 'कैद' रहना होता है.

बजट की सुरक्षा पर दि‍या जाता है ध्‍यान

बजट की सुरक्षा और गोपनीयता का हर कदम पर ध्यान दिया जाता है, चाहे वह बजट का ड्राफ्ट बनाने की प्रक्रिया हो, या फिर उसके बाद की. बजट प्रिंटिंग का कागज वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचने तक का सफर हो. उसके बाद प्रिंटिंग, पैकेजिंग और इसके संसद पहुंचने तक सुरक्षा व्यवस्था उसी मुस्तैदी के साथ कायम रखी जाती है.