Gold Bullion Hallmarking: सोना (Gold) में निवेश करने वालों के लिए बड़ी खबर है. गोल्ड हॉलमार्किंग की तरह जल्द गोल्ड बुलियन (Gold Bullion) के लिए भी हॉलमार्किंग अनिवार्य होगा. इंडस्ट्री की डिमांड पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने गोल्ड बुलियन हॉलमार्किंग के लिए एक एडवायजरी ग्रुप बनाई है. इसके लिए कंसल्टेशन की प्रक्रिया जारी है. ड्राफ्ट रेगुलेशन जल्द जारी होगा. बता दें कि हॉलमार्किंग - एक क्वालिटी सर्टिफिकेट की तरह है जिसे 1 जुलाई, 2022 से देश के 288 जिलों में सोने के आभूषण (14, 18 और 22 कैरेट) और कलाकृतियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है.

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यूजर्स की मांग रही है कि सोने के ज्वैलरी की क्वालिटी तभी सुनिश्चित की जा सकती है, जब बुलियन हॉलमार्क किया जाए. BIS ने गाइडलाइंस का ड्राफ्ट तैयार कर लिया हैं. कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है. गोल्ड बुलियन का उपयोग ज्वैलरी बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है और ज्वैलरी की बड़ी मात्रा को देखते हुए इसकी शुद्धता सर्वोपरि है. BIS ने एक सलाहकार समूह भी स्थापित किया है, जिसमें आभूषण, आयातकों, रिफाइनर और परख केंद्रों के प्रतिनिधित्व शामिल हैं. सलाहकार समूह मसौदे को देखेगा और सुझाव देगा कि क्या कोई बदलाव किया जाना है अथवा नहीं. इसके बाद, उसपर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी जाएंगी.

ग्राहकों को क्या होगा फायदा?

बीआईएस के मुताबिक, गोल्ड बुलियन हॉलमार्किंग (Gold Bullion Hallmarking) को अनिवार्य किए जाने पर दो बैठकें हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि रिफाइनर्स को इम्पोर्टेड गोल्ड की क्वालिटी मालूम होगी. उनको पता होगा कि उनका सोना कितना खरा है. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि उपभोक्ताओं को क्वालिटी के मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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हॉलमार्क वाले बुलियन से देश में बनने सोने के आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. बीआईएस के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई, 2022 से अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू होने के बाद से सोने की 18 करोड़ से अधिक वस्तुओं की हॉलमार्किंग की गई है. 

1 अप्रैल से बदलेगा सोना खरीदने का नियम

आपको बता दें कि देश में 1 अप्रैल से 6 डिजिट अल्फान्यूमैरिक हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) वाला सोना और ज्वैलरी ही बिकेगी. सरकार ने 4 डिजिट वाला हॉलमार्किंग को खत्म कर दिया है. BIS ने 16 जून 2021 से देश के 256 जिलों में अनिवार्य गोल्ड हॉलमार्किंग को सफलतापूर्वक लागू कर दिया था.

क्या है हॉलमार्किंग?

सोने की प्योरिटी और डिजाइन को प्रमाणित करने के प्रोसेस को हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) कहा जाता है. सरकार ने सोने की प्योरिटी के मानक तय किए हैं, उसी के मुताबिक, सोना मार्केट में मिलता है. हॉलमार्क वाली गोल्ड जूलरी में बीआईएस लोगो, प्योरिटी ग्रेड और 6 अंकों का अल्फान्यूमैरिक कोड देखे जा सकते हैं.

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चालू वित्त वर्ष में अबतक लगभग 92.08% नमूनों को बीआईएस रेफरल परख प्रयोगशालाओं द्वारा मंजूरी दे दी गई है. भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता और और आयातक देश है. यहां सालाना करीब 700-800 टन सोने का आयात किया जाता है.

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