Organic Farming: उत्तर प्रदेश के किसानों ने एक बार फिर जैविक खेती (Organic Farming) की ओर रुख किया है. पिछले छह सालों में उनकी दस गुना की बढ़ोतरी हुई है. आंकड़े बता रहे हैं कि औसतन हर वर्ष लगभग दो गुना का इजाफा हो रहा है. रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilisers) के प्रयोग से होने वाले नुकसान को समझने के बाद किसानों ने इस ओर रुख किया है. सरकार की ओर से मिले आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश प्रदेश में वर्ष 2015-2016 में जैविक खेती करने वाले किसानों (Farmers) की संख्या 28,750 थी. 2022-2023 में यह बढ़कर 2,89,687 हो गई. ग्रोथ की यही रफ्तार जारी रही तो 2023-2024 में जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या 3 से 4 लाख तक पहुंच जाएगी.

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अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के मद्देनजर सरकार जिस तरह मोटे अनाजों (Millets) की जैविक खेती (Organic Farming) पर जोर दे रही है, उससे इस तरह की खेती की संभावना और बढ़ जाती है. क्योंकि मोटे अनाजों की प्रमुख फसलें सावां, कोदो, मडुआ/रागी, टांगुन एवं बाजरा आदि परंपरागत रूप से प्राकृतिक तरीके से उगाई जाती रहीं हैं. कम से कम पानी, खाद, प्रतिकूल मौसम में भी उगना, रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी होना इनकी खूबी रही है. ऐसे में थोड़ी सी तकनीक की मदद से इनकी जैविक एवं प्राकृतिक खेती परंपरागत फसलों की तुलना में अधिक संभावना वाली है.

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योगी सरकार ने प्राकृतिक खेती पर दिया जोर

कुछ महीने पहले एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास कर रही है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के सत्यापन के लिए सभी मंडल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित कराए जाएंगे. चरणबद्ध रूप से कृषि विज्ञान केंद्रों पर टेस्टिंग लैब स्थापित किए जाएंगे. इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाएगा.

जैविक खेती का हब बन सकता है यूपी

विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर प्रदेश जैविक खेती (Organic Farming) के लिहाज से भारत का हब बन सकता है. इसकी खासी संभावना भी है. मसलन जिस इंडो गैंजेटिक बेल्ट का शुमार दुनिया की उर्वरतम भूमि में होता है, उसका अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही आता है. पूरे साल बहने वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियां और हर तरह की खेतीबाड़ी के लिए उपयुक्त 9 तरह के एग्रो क्लाइमेट जोन के कारण उत्तर प्रदेश ऐसा करने में सक्षम है. इस बाबत लगातार प्रयास भी जारी हैं.

प्रदेश सरकार किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुचाने के उद्देश्य से राज्य के 70 जिलों में 110000 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) का काम शुरू करने जा रही है.

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गंगा किनारे जैविक खेती की संभावाएं बढ़ी

जानकर बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में जैविक खेती (Organic Farming) के लिए भरपूर बुनियादी सुविधाएं पहले से मौजूद हैं. सरकार इन सुविधाओं में लगातार विस्तार भी कर रही है. मसलन जैविक खेती का मुख्यालय नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फॉमिर्ंग (NCOF)गाजियाबाद में स्थित है. देश की सबसे बड़ी जैविक उत्पादन कंपनी उत्तर प्रदेश की ही है. यहां प्रदेश के एक बड़े हिस्से में अब भी परंपरागत खेती होती है. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इसके किनारों पर जैविक खेती की संभावनाओं को और बढ़ा देती है.

22,86,915 किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

खेती किसानी के जानकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि योगी-1.0 में जैविक खेती (Ogranic Farming) के क्लस्टर्स बनाकर किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया. तीन वर्ष के लक्ष्य के साथ 20 हेक्टेयर के एक क्लस्टर से 50 किसानों को जोड़ा गया. प्रति क्लस्टर सरकार तीन साल में 10 लाख रुपये प्रशिक्षण से लेकर गुणवत्तापूर्ण कृषि निवेश उपलब्ध कराने पर खर्च करती है. जैविक उत्पादों के परीक्षण के लिए एक प्रयोगशाला लखनऊ में क्रियाशील है. मेरठ और वाराणसी में काम प्रगति पर है. पिछले दो वर्षों के दौरान 35 जिलों में 38,703 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक कृषि परियोजना को स्वीकृति दी जा चुकी है. इसके लिए 22,86,915 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

जैविक खेती (Organic Farming) के प्रति लोग जागरूक हों, इस बाबत 16 दिसंबर 2021 में कृषि विभाग वाराणसी में 22 जनवरी 2020 को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में नमामि गंगे योजना के तहत कार्यशाला और प्रदेश के पांच कृषि विश्विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK), कृषि प्रबंधन संस्थान रहमान खेड़ा पर जैविक खेती के प्रदर्शन के पीछे भी सरकार का यही मकसद रहा है.

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योगी-2.0 में जैविक खेती को प्रोत्साहन

गिरीश पांडेय ने बताया कि योगी-2.0 में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए जो लक्ष्य रखा है उसके अनुसार गंगा के किनारे के सभी जिलों में 10 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. बुंदेलखंड के सभी जिलों में गो आधारित जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे इस पूरे क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या हल करने में मदद मिलेगी. प्रदेश के हर ब्लॉक में जैविक खेती को विस्तार दिया जाएगा. ऐसे उत्पादों के अलग ब्रांड स्थापित करने की मंशा से हर मंडी में जैविक आउटलेट के लिए अलग जगह का निर्धारण किया गया है.

सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में प्रदेश के 3,00,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक खेती का विस्तार करते हुए 7,50,000 किसानों को इससे जोड़ने की है. ऑर्गेनिक फॉमिर्ंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से 9 से 11 नवंबर 2017 में जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में जैविक कृषि कुंभ का आयोजन किया गया था. इसमें 107 देशों ने भाग लिया था.

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इससे मिले आंकड़ों के अनुसार उस समय भारत के जिन प्रमुख राज्यो में प्रमाणित जैविक खेती होती थी, उनमें राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश का नंबर सातवां था। प्रदेश में जैविक खेती का कुल रकबा 1,01,459 हेक्टेयर था। तबसे अब तक इसमें खासी प्रगति हो चुकी है.

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