Drumstick Cultivation: अगर आप कम निवेश और कम मेहनत में ज्‍यादा पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको सहजन की खेती (Drumstick Farming) करनी चाहिए. ऐसा गुजरात के खेड़ा जिले के दुधेलीलाट गांव के किसान प्रवीण भाई पटेल ने कर दिखाया है. प्रवीण सहजन यानी मोरिंगा (Moringa) की खेती के साथ इसकी प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं. खेती में तकनीक के इस्तेमाल से गुजरात के प्रवीण लखपति किसान बन गए है. वो सालाना 20 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. 

PKM-1 वेरायटी सहजन की खेती

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आईसीएआर के मुताबिक, प्रवीण भाई पटेल के पास 10.7 हेक्टेयर जमीन है और उनके पास पारंपरिक खेती का ज्ञान है. वह पारंपरिक तरीकों से अरंडी, कपास और चना उगाते थे. वह जानते थे कि गुजरात राज्य में उच्च पोषण और औषधीय महत्व के कारण सहजन की भारी मांग है. अपनी पारिवारिक जरूरतों और जिम्मेदारियों के लिए अपने कृषि पेशे से आय बढ़ाने के लिए उन्होंने आईसीएआर- भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र, वासद के तकनीकी मार्गदर्शन के तहत 10.7 हेक्टेयर में पीकेएम-1 किस्म के सहजन के पेड़ लगाए.

कृषि वैज्ञानिकों ने सहजन की खेती दी सलाह

प्रवीण भाई पटेल ने गुजरात के वासद में आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र का दौरा किया और अपने खेत में सहजन (Moringa) उगाने में रुचि दिखाई. आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी के वैज्ञानिकों ने उन्हें अपने उत्पादों की उच्च मांग के कारण सहजन की खेती (Drumstick Farming) शुरू करने की सलाह दी. उन्होंने वैज्ञानिक उत्पादन तकनीकों, नर्सरी तैयार करने, बीज उत्पादन और तना काटने की ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने उन्हें इनपुट लागत कम करने के लिए स्टेम कटिंग का उपयोग करने की भी सलाह दी.

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मार्केटिंग के सिखाए गुर

पटेल ने आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी रिसर्च स्टेशन में प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लिया और विशेषज्ञों ने छंटाई, उर्वरक आवेदन, सिंचाई शेड्यूलिंग, कटाई और पौधों की सुरक्षा उपायों पर सलाह देने के लिए उनके खेत का दौरा किया. उन्हें ड्रमस्टिक प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की भी सलाह दी गई.

हर साल 100 टन सहजन का उत्पादन

2008, 2016 और 2020 में, उन्होंने बीज (PKM-1), खुद के बीज (Sargavi) और तना कटिंग से क्रमशः 450, 1700 और 2580 सहजन के पौधे लगाए. उन्हें हर साल 10.7 हेक्टेयर खेत से 100 टन ताजा सहजन की फली मिल रही है और वह इसे देश के अलग-अलग हिस्सों जैसे कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, खेड़ा और वडोदरा में 35 रुपये प्रति किग्रा बेच रहे हैं. इस क्षेत्र के स्थानीय बाजार  कपडवंज, नडियाद, और बयाद में भी सहजन की अच्छी मांग है.

ग्रेडिंग का उपयोग कीमतों और मार्केटिंग में सुधार के लिए किया जाता है. कोलकाता और मुंबई में उंगली के आकार की सहजन की फली को प्राथमिकता दी जाती है और गुजरात के स्थानीय बाजारों में अंगूठे के आकार की फली को प्राथमिकता दी जाती है.

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सालाना 20 लाख रुपये की कमाई

उन्होंने आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी विशेषज्ञों से प्राप्त तकनीकों और सुझावों को लगातार लागू किया और अच्छी खासी आय अर्जित की. खेती की लागत, ग्रॉस रिटर्न और नेट रिटर्न क्रमशः ₹100000/हेक्टेयर, ₹300000/हेक्टेयर और ₹200000/हेक्टेयर है. 10.7 हेक्टेयर क्षेत्र में सहजन की खेती से वह हर साल लगभग 20 लाख रुपये कमा रहे हैं.

प्रोसेसिंग से बढ़ा रहे कमाई

उन्होंने सहजन की पत्तियों और बीजों से पाउडर और हेयर ऑयल बनाने की शुरुआत की है. पटेल सहजन पाउडर 129 रुपये प्रति 100 ग्राम और हेयर ऑयल 299 रुपये प्रति 50 ml बेच रहे हैं. वह सहजन की बीज सामग्री ₹2000/किग्रा बेचकर भी अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. चीनी कंपनी थायलाकोइड बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड उपभोग के लिए उनसे सहजन की फली की गुठली भी खरीद रही है.

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सहजन की खेती में विशेषज्ञता रखने वाले प्रगतिशील किसान प्रवीण भाई पटेल ने सहजन और उनके वैल्यू एडेड प्रोडेक्ट्स से नियमित और मोटी कमाई कर अपनी आजीविका में सुधार किया है. वह 15 मजदूरों को स्थायी रोजगार दे रहे हैं और छोटे और सीमांत किसानों को उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलें उगाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं. लगभग 150 किसानों ने खेती को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए संसाधन-गरीब और युवा किसानों को आकर्षित करते हुए आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी तकनीक को अपनाया है.