Parwal Ki Kheti: परवल का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. सेहत के लिए इसके बड़े फायदे हैं. इसकी खेती करके किसान बंपर मुनाफा कमा रहे हैं.  वाराणसी के बड़ागांव ब्लॉक के हरिपुर गांव के राजेंद्र सिंह पटेल आईसीएआर-आईआईवीआर के सुझाव पर 2019 से काशी परवल-141 (Kashi Parwal-141) उगा रहे हैं और सालाना 3 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. 

वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल

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परवल का बेहतरीन उत्पादन खेती की तकनीक पर निर्भर करती है. आईसीएआर के मुताबिक, किसान राजेंद्र पटेल ने शुरुआत में नवबंर महीने 0.25 हेक्टेयर जमीन पर परवल की काशी परवल-141 को लगाया. इसके उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation), प्लास्टिक मल्च और वर्टिकल ट्रेनिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया. उन्होंने आईसीएआर के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए अलग-अलग तकनीकी उपायों का भी इस्तेमाल किया.

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परवल की खेती से कमाई

राजेंद्र के मुताबिक, फलों की तुड़ाई मार्च में शुरू होती थी और दिसंबर के पहले हफ्ते तक जारी रहती थी. राजेंद्र ने पहले वर्ष में 95 क्विंटल परवल उत्पादन किया जो धीरे-धीरे दूसरे और तीसरे वर्ष में बढ़कर क्रमशः 105 और 110 क्विंटल हो गया. उन्होंने पहले, दूसरे और तीसरे साथ खेती की लागत घटाने के बाद क्रमश: 2,30,000 रुपये, 2,70,000 रुपये और 2,90,000 रुपये का नेट मुनाफा कमाया. परवल की खेती में लागत 1.50 लाख रुपये आई. 

उन्होंने परवल को छोटी जोत से टिकाऊ कमाई के लिए एक उपयुक्त फसल बताया क्योंकि इसकी उपलब्धता के दौरान कीमत में उतार-चढ़ाव नहीं होता है और किसी भी अवसर पर बाजार भाव 20 रुपये से नीचे नहीं जाता है. वह उन किसानों के लिए एक प्रेरणादायक हैं जो परवल की खेती करना चाहते हैं.

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Kashi Parwal-141 खासियतें

परवल एक क्लोन रूप से प्रचारित, बारहमासी, द्विअर्थी और स्वदेशी कद्दूवर्गीय सब्जी है. परवल में विटामिन, मिनरल और आहार फाइबर के अच्छे स्रोत हैं. औषधीय गुणों के लिए भी ये महत्वपूर्ण है. इस अन्य कद्दूवर्गीय सब्जियों की तुलना में अत्यधिक पौष्टिक माना जाता है. इसका इस्तेमाल सब्जी के अलावा मिठाई बनाने में भी किया जाता है. 

बारहमासी होने के कारण, परवल के फल दिसंबर और जनवरी के सर्दियों के महीनों को छोड़कर लगभग पूरे वर्ष बाजार में उपलब्ध रहते हैं.  काशी परवल-141 को आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता इसके धुरी के आकार के फल हैं जो बिना किसी पट्टी के हल्के हरे रंग के होते हैं और लंबाई में 8 से 10 सेमी होते हैं. Kashi Parwal-141 किस्म के परवल पूर्वी उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से वाराणसी और आसपास के इलाकों में बहुत आम और लोकप्रिय है.

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