Edible Oil Prices: खाद्य तेल उद्योग के निकाय एसईए (SEA) ने घरेलू उद्योग के संरक्षण के लिए सरकार से कच्चे और रिफाइंड पाम तेल के बीच ड्यूटी अंतर को 7.5% से बढ़ाकर 15% करने की मांग की है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने संगठन के सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा है कि भारतीय वनस्पति तेल (एडिबल और नॉन--एडिबल तेल मिलाकर) रिफाइनिंग उद्योग इस समय चुनौतियों का सामना कर रहा है.

कच्चे पाम तेल के ज्यादा निर्यात से घरेलू इंडस्ट्री चौपट

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उन्होंने बयान में कहा, 3 लाख करोड़ रुपये के आकार वाले भारतीय खाद्य तेल उद्योग का काफी महत्व है. पिछले 12 वर्षों में इंडोनेशिया और मलेशिया ने रिफाइंड तेल की तुलना में कच्चे पाम तेल (CPO) पर अधिक निर्यात कर लगाया है. इससे रिफाइंड तेल सस्ता हो गया है जिससे भारतीय रिफाइनिंग क्षमता बेकार हो गई है.

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ड्यूटी बढ़ाए सरकार

झुनझुनवाला ने कहा कि भारत में सीपीओ और रिफाइंड पाम तेल के बीच ड्यूटी अंतर को घटाकर 7.5% कर दिया गया है जो मलेशिया और इंडोनेशिया में रिफाइनिंग उद्योग के हितों के ही अनुकूल है. उन्होंने कहा कि दोनों तेलों के बीच ड्यूटी अंतर कम होने से घरेलू वनस्पति तेल रिफाइनिंग उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में सरकार को कच्चे और रिफाइंड पाम तेल के बीच शुल्क अंतर को एक बार फिर 7.5% से बढ़ाकर 15% कर देना चाहिए.

एसईए अध्यक्ष ने कहा कि नवंबर, 2022- अक्टूबर, 2023 के ऑयल मार्केटिंग सेशल में भारत ने 167.1 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात किया, जो इसका सर्वकालिक उच्चस्तर है. खाद्य तेलों का आयात 164.7 लाख टन के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया.

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