Sarkari Yojana: मशीनों के इस्तेमाल से खेती का काम आसान हो रहा है. खेती में मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें योजनाएं चला रही हैं. मशीन के इस्तेमाल से खेती की लागत कम होती है. साथ ही किसानों को कम मेहनत में मुनाफा बढ़ता है. अगर आप खेती से जुड़ा बिजनेस करना चाहते हैं तो मशीन कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) यानी मशीन बैंक खोल सकते हैं. इसे खोलने के लिए सरकार आवेदकों को भारी सब्सिडी (Subsidy) दे रही है.

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कस्टम हायरिंग सेंटर इस उददेश्य के साथ बनाए गए हैं कि वे 10 किलोमीटर के आस-पास के दायरे में करीब 300 किसानों को सेवाएं दे सके. इन केन्द्रों की सेवाओं को ज्यादा से ज्यादा लाभकारी बनाने के लिए केंद्रों की संख्या को सीमित रखा गया है. मध्य प्रदेश में वर्तमान में 3800 किसान कस्टम हायरिंग सेंटर चला रहे हैं.

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किसानों को किराये पर मिलती है मशीन

कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) से छोटे किसानों को किराये पर मशीन मिल जाती है, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है.  राज्य सरकार 40 लाख रुपये से लेकर 2.50 करोड़ रुपये कीमत वाली नई और आधुनिक कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब बना रही है. अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब बन गए हैं.

ग्रामीण युवाओं के लिए नौकरी के अवसर

कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के ज्ञान और कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं. कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, और इंदौर में चल रहे हैं. सभी भारतीय राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद से संबद्ध हैं. इन केंद्रों में ग्रामीण युवाओं के लिए ट्रेक्टर मैकेनिक और कंम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर कोर्स आयोजित किए जा रहे हैं. अब तक लगभग 4800 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है.

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महंगे कृषि उपकरणों को छोटे किसानों के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास करने में राज्य सरकार ग्रामीण युवाओं को कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) स्थापित करने में मदद कर रही है. यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की 'प्रति बूंद, अधिक फसल' पहल के साथ मेल खाता है, जिसका उद्देश्य उत्पादकता को बढ़ावा देना है. 

खेती में मशीन के इस्तेमाल से बढ़ता है मुनाफा

कस्टम हायरिंग सेंटर किराये पर मशीनों को उपयोग करने की अनुमति देते हैं, जिससे ग्रामीण युवाओं को अधिक से अधिक रोज़गार के अवसर दिए जा सकें. मशीनों से किसान के शारीरिक श्रम में बचत हो जाती है. मेकेनाइजेशन खेती की लागत को कम करता है और उत्पादकता बढ़ाता है. इससे किसान का लाभ बढ़ जाता है.

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10 रुपये तक मिलेगी सब्सिडी

ग्रामीण युवा स्नातक की डिग्री के साथ इस योजना का लाभ ले सकते हैं. इसमें कुल 25 लाख रुपये निवेश की जरूरत होती है. उन्हें केवल 5 लाख रुपए की मार्जिन राशि देना होती है. सरकार कुल लागत का 40% सब्सिडी देती है जो अधिकतम 10 लाख तक होती है. बाकी लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है.

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