Rice Bran Meal Export Ban: गैर-बासमती सफेद चावल के बाद सरकार ने राइस ब्रान मील (Rice Bran Meal) के निर्यात (Export) पर रोक लगा दी है. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने तत्काल प्रभाव से एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है. राइस ब्रान मील के निर्यात पर रोक 30 नवंबर 2023 तक जारी रहेगी.

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बता दें कि  भारत राइस ब्रान मील का बड़ा एक्सपोर्टर है. सालाना 10 लाख टन से ज्यादा का एक्सपोर्ट करता है.  चावल की भूसी का उपयोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, शराब, मोटापा और एड्स के इलाज के लिए किया जाता है. पेट और पेट के कैंसर और हृदय रोग की रोकथाम में कारगर है. इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

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खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए प्रतिबंध

इससे पहले, भारत सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से जून की अवधि में इस किस्म के 15.54 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया गया जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि (अप्रैल- जून) के दौरान केवल 11.55 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात हुआ था, यानी 35% बढ़ोतरी. निर्यात में तेज बढ़ोतरी के लिये जियो-पॉलिटिकल आउटलुक, अल-नीनो (El-Nino) धारणा और दुनिया के चावल उत्पादक देशों में कठिन जलवायु परिस्थितियां आदि जिम्मेदार हैं.

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देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल का 25% योगदान होता है. गैर-बासमती सफेद चावल (Non Basmati White Rice) के निर्यात को प्रतिबंधित करने से देश में उपभोक्ताओं के लिये इसके दाम कम होंगे.  हालांकि, गैर-बासमती चावल (उसना चावल) और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है. कुल चावल निर्यात में इनका योगदान ही अधिक होता है. इससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लाभकारी दाम का  लगातार लाभ मिलता रहेगा.

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