Non-Basmati White Rice Export: सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati White Rice Export) निर्यात करने की मंजूरी दी है. इसके लिए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के नोटिफिकेशन जारी किया है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, भारत नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) के जरिए 75,000MT गैर-बासमती सफेद चावल एक्सपोर्ट करेगा.

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आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद इस वर्ष चावल का निर्यात अधिक रहा है. सरकार ने प्रीमियम बासमती चावल (Premium Basmati Rice) की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) की संभावित ‘अवैध’ निर्यात खेपों को प्रतिबंधित करने के लिए 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के भाव के बासमती चावल के एक्सपोर्ट की मंजूरी नहीं दी है.

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भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक

भारत दुनिया में चावल के कुल निर्यात का 40  फीसदी निर्यात करता है. ग्लोबल राइस मार्केट में भारत का अहम योगदान है और यह सबसे बड़ा निर्यातक है. दूसरे नंबर पर थाइलैंड और तीसरे नंबर पर वियतनाम का स्थान आता है. ग्लोबल राइस एक्सपोर्ट में इनका योगदान 15.3 फीसदी और 13.5 फीसदी है. 

कीमत के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का बासमती चावल (Basmati Rice) का कुल निर्यात 4.8 अरब डॉलर का हुआ था, जबकि मात्रा के हिसाब से यह 45.6 लाख टन था.

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क्यों बढ़ रही है चावल की कीमतें?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एशियाई देशों से खरीदारों की मजबूत मांग, थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में दर्ज उत्पादन व्यवधान और अल नीनो (El Nino) की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभाव की आशंका के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से लगातार बढ़ रही हैं. एफएओ चावल मूल्य सूचकांक जुलाई 2023 में 129.7 अंक तक पहुंच गया, यह सितंबर 2011 के बाद से उच्चतम स्तर था. गत वर्ष के स्तर के मुकाबले इसमें 19.7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. भारतीय चावल की कीमतों के अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिसके परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसका रिकॉर्ड निर्यात हुआ है.