Agri Business Idea: अगर आप कम लागत और कम समय में लाखों की कमाई करना चाहते हैं तो आपको सूरजमुखी (Sunflower Farming) की खेती करनी चाहिए. सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों ही मौसम में की जा सकती है. खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है. फूल छोटे होते है और उनमें दाना भी कम पड़ता है. जायद में सूरजमुखी (Sunflower) की अच्छी उपज पायी जा सकती है. इससे किसानों को मोटा मुनाफा हो सकता है.

खेत की तैयारी

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सूरजमुखी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन ज्यादा पानी रोकने वाली भारी मिट्टी बेहतर है, निश्चित सिंचाई वाली सभी प्रकार की मिट्टी में अम्लीय व क्षारीय मिट्टी को छोड़कर इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. खेत में पर्याप्त नमी न होने की दशा में पलेवा लंगाकर जुताई करनी चाहिए. आलू, राई, सरसों अथवा गन्ना आदि के बाद खेत खाली होते ही एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा देशी हल से 2-3 बार जोतकर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए.  रोटावेटर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है.

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सूरजमुखी की उन्नत किस्में

सूरजमुखी 75 से 95 दिनों में पक तैयार हो जाती है. इसकी कई उन्नत किस्में हैं. किसानों को सूरजमुखी की उन्नत किस्मों को उगाना चाहिए. इसकी उन्नत किस्मों में- मार्डन, सूर्या, के.वी. एस.एच-1, एस.एच.-3322, एम.एस.एफ.एच. 17, वी.एस.एफ-1 शामिल हैं.

बुवाई का समय और तरीका

जायद में सूरजमुखी की बुवाई (Sunflower Farming) का बेहतर समय फरवरी का दूसरा पखवारा है जिससे फसल मई के अन्त या जून के पहले हफ्ते तक पक जाए. बुवाई में देर करने से वर्ष शुरू हो जाने के बाद फूलों को नुकसान पहुंचता है. बुवाई कतारों में हल के पीछे 4-5 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए. लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए और बुवाई के 15-20 दिन बाद सिंचाई से पूर्व थिनिंग द्वारा पौधे से पौधे की आपसी दूरी 15 सेमी कर देनी चाहिए.

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एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 12 से 15 किग्रा स्वस्थ संकुल प्रजाति का प्रमाणित बीज पर्याप्त होता है, जब कि संकर प्रजाति का 5-6 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर बेहतर रहता है. अगर बीज का जमाव 70 फीसदी से कम हो तो बीज की मात्रा बढ़ा देना चाहिए. बीज को 12 घंटे पानी में भिगोकर साये में 3-4 घंटे सुखाकर बोने से जमाव जल्दी होता है. बोने से पहले प्रति किलोग्राम बीज को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा या थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा में से किसी एक रसायन से शोधित कर लेना चाहिए.

हल्की भूमि में जायद मे सूरजमुखी की अच्छी फसल के लिए 4-5 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. भारी मिट्टी में 3-4 सिंचाइयां क्यारियों बनाकर करनी चाहिए. पहली सिंचाई बोने के 20-25 दिन बाद जरूरी है. फूल निकलते समय तथा दाना भरते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. इस अवस्था में सिंचाई बहुत सावधानी पूर्वक करनी चाहिए ताकि पौधे न गिरने पाए. सामान्यतः 10-15 दिनों के अन्तर पर सिंचाई की जरूरत होती है. 

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कटाई मड़ाई

जब सूरजमुखी के बीज पक कर कडे़ हो जाये तो मुडको की कटाई कर लेना चाहिए. पके हुए मुडको का पिछला भाग पीला रंग का हो जाता है. मुडको को काटकर सायें मे सुखा लेना चाहिए और इन्हें ढेर बनाकर नहीं रखना चाहिए. इसके बाद मडाई डंडे से पीटकर की जाती है. मड़ाई हेतु सूरजमुखी थ्रेसर का प्रयोग किया जाना चाहिए.

सूरजमुखी फसल की संकुल प्रजातियों की औसत उपज 12-15 क्विंटल और हाइब्रिड प्रजातियों का 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाता है. सूरजमुखी के बीज को सामान्य परिस्थियों के तहत भंडारित किया जा सकता है. लेकिन बीजों में नमी 8-10 फीसदी से अधिक नही होनी चाहिए. 

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