Natural Farming: खेती-किसान में इन दिनों प्राकृतिक खेती (Natural Farming) का चलन बढ़ा है. किसानों ने प्राकृतिक खेती को एक सफलता की कहानी के रूप में अपनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी किसानों को खेती के प्राकृतिक तरीके की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया है. हिमाचल प्रदेश के नगरोटा बगवां क्षेत्र के संसार चंद ने भी Natural Farming को अपनाकर सफलता की एक नई कहानी लिखी है.

परिवार की झेलनी पड़ी नाराजगी

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सब्जियों की खेती के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में बिना केमिकल के सब्जियों की खेती करना संसार चंद के लिए एक चुनौती से कम नहीं था. प्राकृतिक खेती को अपनाने का मन बना चुके संसार चंद के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी हो गई क्योंकि इसमें उन्हें परिवारवालों का साथ नहीं मिल पाया. बावजूद इसके उन्होंने इस सब चुनौतियों से पार पाया और अब सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेती कर रहे हैं.

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उनका कहना है कि वह कई वर्षों से केमिकल की खेती कर रहे हैं और जब उन्होंने 2020 में प्राकृतिक खेती करने का फैसला किया तो उनके परिवारवालों ने इसका विरोध किया. उन्होंने प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग पाने के बाद एक करनाल जमीन में प्राकृतिक खेती शुरू की. इसके बाद जैसे ही उन्हें अच्छे परिणाम देखे, इसके बाद उन्होंने 5 करनाल में इसे करना शुरू किया.

संसार चंद ने धीरे-धीरे से प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाया. उन्होंने पहले के मुकाबले केमिकल की खरीद बहुत कम कर दी है. उनका कहना है कि रसायनिक खेती में सब्जियों में बहुत अधिक बीमारियां आ रही थी, लेकिन प्राकृतिक खेती में बीमारियां बहुत कम है.

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12 हजार लगाकर कमाए 1.25 लाख रुपये

उनका कहना है कि मैंने अपने खेतों में मिश्रित खेती से बहुत अच्छा परिणाम देखा. मेरा मानना है कि सभी किसानों को इस खेती विधि को अपनाना चाहिए ताकि वे भी केमिकल फ्री इस खेती पद्धति से फायदों को जान सकें. हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने उनकी सफलता की कहानी बताई है.

संसार चंद अपने खेतों में खीरा, प्याज, टमाटर, बैंगन, लहसुन, मटर, गेहूं, धान, मक्की, गोभी, मूली, शलगम, धनिया और पालक की प्राकृतिक खेती करते हैं. उनका कहना है कि रसायनिक खेती में 18,000 रुपये खर्च पर 95,000 रुपये की कमाई होती थी. जब प्राकृतिक खेती को अपनाया तो 12,000 रुपये लगाकर 1,25,000 रुपये कमा लिए.

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