Sunflower Cultivation: सूरजमुखी की खेती को मुनाफा देने वाला माना जाता है. इसकी खेती तीनों मौसम में की जा सकती है. सूरजमुखी (Sunflower) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल (Oilseeds Crop) है, बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी जाना जाता है. इसकी बुवाई का समय इस तरह से करना चाहिए कि फूल लगने के समय लगातार बूंदा-बांदी, बादल छाए रहें या तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहने की स्थिति से बचा जा सके. 

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सूरजमुखी की खेती (Sunflower Farming) अम्लीय और क्षारीय मिट्टी को छोड़कर सिंचित दशा वाली सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है. जहां इसकी पारंपरिक रूप से खेती नहीं होती है, वहां इसकी बुवाई वसंत ऋतु में जनवरी से फरवरी के अंत तक की जा सकती है.

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Sunflower Farming: बुवाई का तरीका

आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरजमुखी (Sunflower) की फसल के लिए मिट्टी अच्छी तरह से छनी हुई और उपजाऊ होनी चाहिए. बीज दर भूमि की दशा, दानों के आकार, अंकुरण प्रतिशत, बोने का समय और बोने की विधि पर निर्भर करती है. सिंचाई पर निर्भर फसल के लिए 4-5 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और बीज की गहराई 4-5 से.मी होनी चाहिए.

सूरजमुखी की किस्में

सूरजमुखी की हाइब्रिड प्रजातियां जैसे डी.आर.एस.एच-1, के.बी.एस.एच-44, पी.एस.एच.एफ.- 118, पी.एस.एच.एफ.- 569, पी.ए.सी.-36, पी.ए.सी.-1091, के.भी.एस.एच.-1 और संकुल प्रजातियां जैसे मॉर्डन व सूर्या आदि हैं. बीजों में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर मात्रा को कैप्टॉन या थीरम से उपचारित कर लेना चाहिए.

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उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए. सिंचाई पर आधारित फसल के लिए 60:90:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश की सिफारिश की जाती है. बुवाई के समय सूरजमुखी के फसल के लिए 50 फीसदी नाइट्रोन + फॉस्फोरस और पोटाश खाद की पूरी मात्रा देनी चाहिए. बाकी के दो बराबर-बराबर भाग करके बुवाई के 30 से 55 दिनों के लिए बाद डालनी चाहिए. फॉस्फोरस को पाने के लिए सिंगल सुपर फॉस्फेट को लेना चाहिए, जिससे गंधक की जरूरत भी पूरी होती है.

अंतर फसल प्रणाली

सूरजमुखी (Sunflower) की अंतर फसल प्रणाली के जरिए भी खेती की जा सकती है. तुअर+सूजरमुखी (2:1/1:1/1:2), सूरजमुखी+मूंगफली ( 5:1/3:1), सूरजमुखी+सोयाबीन+सूरजमुखी (2:1) की दर से फसल बोना फायदेमंद होता है.