GST की भरपाई के लिए 21 राज्य 97000 करोड़ के लोन के लिए तैयार, केंद्र ने दिया था प्रपोजल
जो राज्य तय तारीख 5 अक्टूबर, 2020 तक लोन ऑप्शन के बारे में काउंसिल को जानकारी नहीं देंगे, उन्हें भरपाई की बकाया राशि पाने के लिए जून 2022 तक इंतजार करना होगा.
कोरोनावायरस के चलते कई महीनों तक आर्थिक गतिलविधियों में रुकावट से जीएसटी कलेक्शन पर काफी असर पड़ा है. जीएसटी कलेक्शन में कमी की भरपाई के लिये कुल 21 राज्यों ने 97,000 करोड़ रुपये लोन लेने के लिए केंद्र सरकार के ऑप्शन को सपोर्ट किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.
खबर के मुताबिक, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) ने केंद्र सरकार के फैसले के बारे में जानकारी दी है, उनमें- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश हैं. खबर के मुताबिक, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को जीएसटी परिषद को अपने ऑप्शन के बारे में जानकारी देनी बाकी है.
सूत्रों ने कहा कि जो राज्य तय तारीख 5 अक्टूबर, 2020 तक लोन ऑप्शन के बारे में काउंसिल को जानकारी नहीं देंगे, उन्हें भरपाई की बकाया राशि पाने के लिए जून 2022 तक इंतजार करना होगा. खबर में कहा गया है कि यह भी इस बात पर निर्भर है कि जीएसटी काउंसिल सेस कलेक्शन (उपकर संग्रह) का पीरियड साल 2022 के बाद बढ़ाता है या नहीं.
खबर के मुताबिक, कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदगी में जीएसटी काउंसिल को कोई प्रस्ताव अगर मतदान के लिये आता है तो उसे पारित करने के लिए सिर्फ 20 राज्यों की ही जरूरत है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को गुड्स् एंड सर्विस टैक्स (GST) कलेक्शन में 2.35 करोड़ रुपये के रेवेन्यू की कमी का अनुमान है.
केंद्र के आकलन के मुताबिक, करीब 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी के अमल की वजह से है., जबकि बाकी 1.38 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की वजह कोविड-19 है. इस महामारी के चलते राज्यों के रेवेन्यू पर विपरीत असर पड़ा है.
केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिये थे. इसके तहत 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से लेने का विकल्प दिया गया था. साथ ही आरामदायक और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर 2022 के बाद भी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया था. कुछ और राज्य लोन ऑप्शन को लेकर एक-दो दिन में जानकारी दे देंगे.
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जीएसटी स्ट्रक्चर के तहत टैक्स 5, 12, 18, और 28 प्रतिशत के स्लैब में लगाए जाते हैं. साथ ही लग्जरी और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर सेस लगाया जाता है. सेस से मिली राशि का उपयोग राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के लिए किया जाता है.