ZEE Vs SEBI Case: ज़ी एंटरटेनमेंट के मामले में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल से पुनीत गोयनका को बड़ी राहत मिली हैं. SAT ने SEBI के अंतिम आदेश पर रोक लगा दी है. हालांकि, SEBI अभी भी मामले की जांच करता रहेगा. SAT ने आदेश दिए हैं कि पुनीत गोयनका को SEBI की जांच में आगे भी सहयोग करते रहना होगा. आगे की जांच में कुछ और अहम तथ्य मिलने पर SEBI कार्रवाई कर सकता है. बता दें, SEBI ने पुनीत गोयनका पर जांच के चलते किसी भी कंपनी में MD & CEO पद पर बने रहने पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि, SEBI की इस पाबंदी को भी SAT ने खारिज कर दिया है. 

SAT ऑर्डर की अहम बातें

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ज़ी एंटरटेनमेंट के मामले में सिक्योरिटी अपीलेट ट्रिब्यूनल में दोनों की पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुनाया गया है. SAT ने SEBI के अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया और पुनीत गोयनका को सेबी की तरफ से की जा रही जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं. मामले में पहले सेबी की तरफ से एडवोकेट डेरियस खंबाटा ने बहस पूरी की थी. इसके जवाब में पुनीत गोयनका के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी बहस की. ट्रिब्यूनल ने सेबी को लेकर कई तल्ख टिप्पणी भी की. ट्रिब्यूनल ने पूछा कि किस आधार पर सेबी ने 8 महीने में जांच की समय सीमा तय की है. साथ ही ये भी कहा कि क्या भरोसा है कि सेबी इस मामले में और वक्त जांच के लिए नहीं मांगेगी. 

SEBI के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए सुनाया फैसला

ट्रिब्यूनल ने कहा कि सेबी का पिछला रिकॉर्ड है कि वो जांच पूरा करने के लिए हमेशा और वक्त मांगती रही है. चाहे वो ये ट्रिब्यूनल रहा हो या फिर सुप्रीम कोर्ट. ऐसा कई मामलों में हो चुका है. अडानी और दूसरे मामलों में सेबी ने जांच का वक्त और बढ़वाया है. ऐसे में तय समय में जांच पूरी करने में सेबी की साख ठीक नहीं है. ट्रिब्यूनल ने ये भी कहा कि पूरे मामले में ऐसा लगता है कि ज़ी एंटरटनेमेंट को कोई घाटा नहीं हुआ है. न ही इस मामले में अपीलकर्ताओं को ही कोई लाभ हुआ है. इस पर पुनीत गोयनका के वकील सिंघवी ने कहा कि मामला ज्यादा से ज्यादा फाइनेंशियल मिस स्टेटमेंट या कॉरपोरेट गवर्नेंस का है. ऐसे में सेबी की तरफ से इतना कठोर आदेश कैसे दिया जा सकता है. 

ZEEL की सुनवाई के दौरान SAT की तल्ख टिप्पणी

- किस आधार पर जांच के लिए 8 महीने का समय तय किया 

- समय पर जांच पूरा करने का सेबी का इतिहास नहीं रहा है 

- सेबी अक्सर जांच में समय बढ़ाने की मांग करती रहती है 

- सुप्रीम कोर्ट तक से जांच में समय बढ़ाने की मांग कर चुकी है सेबी 

ZEEL की सुनवाई के दौरान SAT की टिप्पणी

- ऐसा लगता है मामले में ZEEL को कोई लॉस नहीं हुआ

- न ही इस मामले में अपीलकर्ता को कोई लाभ हुआ है

- सौदे संदिग्ध लग सकते हैं लेकिन फ्रॉड कैसे साबित होगा