एक तरह जहां रीयल्टी सेक्टर में मंदी का आलम है तो दूसरी तरफ एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि बीते पांच सालों में देश के सात बड़े शहरों में रेसिडेंशियल फ्लैट के साइज में 27 प्रतिशत की कमी आ गई है. एनारॉक की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है. इन बड़े शहरों में- मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता मुख्य तौर पर सामने आए हैं.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रिपोर्ट के मुताबिक, इन बीते पांच सालों में फ्लैट का आकार 27 प्रतिशत घटकर 1,020 वर्ग फुट रह गया है. साल 2014 में यह 1,400 वर्ग फुट था. मुंबई में फ्लैट का औसत आकार सबसे अधिक यानी 45 प्रतिशत घट गया है और यह अब साल 2014 के 960 वर्ग फुट से घटकर 530 वर्ग फुट पर आ चुका है.

इसी तरह, एनसीआर के रीयल्टी मार्केट में हालांक सबसे अधिक असर हुआ है, लेकिन फ्लैट के औसत आकार के मामले में महज छह प्रतिशत ही कमी आई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, फिलहाल एनसीआर में फ्लैटों का औसत आकार 1,390 वर्ग फुट है.

पुणे में फ्लैटों का औसत आकार 38 प्रतिशत घटकर 600 वर्ग फुट पर आ चुका है. एनारॉक के मुताबिक, चेन्नई, बेंगलरु और हैदराबाद में फ्लैट के औसत आकार में क्रमश: आठ प्रतिशत, नौ प्रतिशत और 12 प्रतिशत की कम देखी गई है. हैदराबाद में फ्लैट का औसत आकार सबसे ज्यादा 1,570 वर्ग फुट है. बेंगलुरु में यह 1,300 वर्ग फुट और चेन्नई में 1,190 वर्ग फुट है. कोलकाता में फ्लैटों का औसत आकार पांच साल में नौ प्रतिशत घटकर 1,230 वर्ग फुट से 1,120 वर्ग फुट पर आ गया.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

 

इसकी वजह की बात अगर समझने की कोशिश करें तो एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी कहते हैं कि कैश क्रंच, खरीदारों की प्रियोरिटी में बदलाव और फ्लैट की कीमत को लेकर रीयल्टी सेक्टर में चिंता बढ़ी है. ऐसे में बिल्डर बड़े फ्लैट के मुकाबले छोटे फ्लैट के प्रोजेक्ट पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं.