नेस्‍ले बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स पर डबल स्‍टैंडर्ड का मामला सामने आने के बाद अब नेस्‍ले प्रोडक्‍ट पर FSSAI की भी नजर बनी हुई है. फूड रेगुलेटर समय समय पर ऐसे उत्पादों की जांच करता रहता है. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि रेगुलेटर की साइंटिफिक कमिटी इसकी जांच करेगी. फिलहाल FSSAI रिपोर्ट के इंतजार में है.

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अगर रिपोर्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो फूड रेगुलेटर इसको लेकर कार्रवाई कर सकता है. वहीं उपभोक्ता विभाग भी नेस्ले से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगेगा. सूत्रों की मानें तो सरकार का साफ कहना डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा.

क्‍या है मामला

हाल ही में पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि नेस्ले भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बेचे जाने वाले शिशु के दूध और अनाज उत्पादों में चीनी और शहद जैसी चीजें मिलाता है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएफएएन ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कंपनी के बेचे जा रहे बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स के सैंपल्‍स को बेल्जियम की लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया. जांच में सामने आया किभारत में बिकने वाले नेस्ले के बच्चों से जुड़े उत्पादों की प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में करीब 4 ग्राम चीनी पाई गई. 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली. वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी प्रोडक्‍ट्स में मिली. वहीं 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी है. वहीं स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले नेस्‍ले के इन्हीं प्रोडक्‍ट्स में चीनी नहीं पाई गई.

Nestle India की ओर से ये कहा गया

हालांकि इस मामले में Nestle India की ओर से बयान सामने आ चुका है, जिसमें बच्‍चों के प्रोडक्‍ट्स में हाई क्‍वालिटी वाली सामग्री के इस्‍तेमाल को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. अब इस मामले में FSSAI भी अपनी नजर बनाए हुए है. इस मामले में शाम तक FSSAI की ओर से आधिकारिक बयान भी आ सकता है.